मुंबई (Mumbai)। राजौरी जिले के ढांगरी गांव (Dhangri village of Rajouri district) में हुए आतंकी हमले की साजिश अब पूरी तरह से साफ हो चुकी है. इस आतंकी हमले की साजिश पाकिस्तान में बैठे लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) के आकाओं ने रची थी. साजिश को अंजाम देने के लिए जम्मू और कश्मीर से कुछ नौजवानों को बरगलाकर पाकिस्तान ले जाया गया था, जहां उन्हें नफरत और आतंक की ट्रेनिंग देकर वापस जम्मू कश्मीर भेज दिया गया. पाकिस्तान से घुसपैठ कर आए इन आतंकियों को घाटी के अल्यसंख्यकों को खासतौर पर निशाना बनाने का हुक्म दिया गया था.
यह खुलासा सोमवार को नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (एनआईए) ने कोर्ट में दाखिल अपने आरोप पत्र में किया गया है. एनआईए के अनुसार, राजौरी आतंकी हमले को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान से जिन तीन आतंकियों की घुसपैठ जम्मू और कश्मीर में कराई गई थी, उसमें अबुरकतल, सजीत जट्ट और कासिम का नाम भी शामिल है. अबुरकतल और सजीत जट्ट पाकिस्तानी नागरिक हैं, जबकि कासिम 2002 के आसपास पाकिस्तान में घुसपैठ कर गया था, जहां उसे आतंकवाद का प्रशिक्षण देकर आतंकवादी रैंक में शामिल किया गया था.
घुसपैठ कर भारत आया आतंकी अबुरकतल 2002-03 से पुंछ-राजौरी रेंज में सक्रिय था. इसके अलावा, एनआईए ने अपनी जांच में उन दो नामों का भी खुलासा किया है, जो लश्कर के आतंकियों के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर (ओजीडब्ल्यू) के तौर पर काम कर रहे थे. इसमें पहला नाम निसार अहमद उर्फ हाजी निसार और दूसरा नाम मुश्ताक हुसैन उर्फ चाचा का है. हाजी निसार पुंछ जिले के मेंढर तहसील के मोहरा गांव का रहने वाला है, जबकि मुश्ताक इसी इलाके के गुरसाई गांव का रहने वाला है.
जांच के दौरान यह भी पाया गया कि आतंकी अबुरकतल के कहने पर निसार और मुश्ताक ने एक किशोर के साथ मिलकर आतंकियों को लॉजिस्टिक सपोर्ट उपलब्ध कराया था. साथ ही, आतंकियों के लिए रहने, खाने के साथ रसद सहायता भी उपलब्ध कराई थी. इसके अलावा, निसार ने ही हथियारों, गोला-बारूद और नकदी की खेप आतंकियों तक पहुंचाई थी. इसके अलावा, आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान में बैठे लश्कर कमांडरों से बातचीत के लिए इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन को नष्ट करने का काम नासिर ने किया था.
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