- 7, 8 और 9 अप्रैल को उज्जैन में देश भर के इतिहासकार पुराविदों का समागम होगा
उज्जैन। अंग्रेजों ने अपने 200 वर्षों के राज में भारतीय संस्कृति बदलने की कोशिश की। कई चीजें या तो बदल दी गई या खत्म कर दी गई। अब इसको सुधारने के लिए उज्जैन में देश भर के इतिहासकारों एवं पुराविदों का महाकुंभ होने जा रहा है। उज्जैन एक प्राचीन और ऐतिहासिक नगरी काल गणना का केंद्र भी उज्जैन है और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं यह प्रयास कर रहे हैं कि समय की गणना उज्जैन से ही प्रारंभ की जाए। भारत के गौरवमयी इतिहास से छेड़छाड़ और गलती अंग्रेजों द्वारा की गई थी। इसे सुधारने के लिए उज्जैन में देश के इतिहासकारों का महाकुंभ होगा।
उज्जैन में 7, 8 और 9 अप्रैल को होने वाले इस महाकुंभ में देशभर के कई नामचीन इतिहासकार एवं पुराविद् जुटेंगे। यह महाकुंभ भारतीय इतिहास समागम के नाम से आयोजित किया जाएगा। इस महाकुंभ के माध्यम से इतिहास में महत्वपूर्ण चीजें जोड़ी जाएँगी जैसे वास्तविक घटनाएँ, महापुरुषों के योगदान के जुड़ी गाथा को फिर से लिखने की तैयारी की जाएगी। विक्रम विश्वविद्यालय के पुराविद् डॉ. रमन सोलंकी ने बताया कि उज्जैन में अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नई दिल्ली मालवा प्रांत और विक्रम विश्वविद्यालय और महाराजा विक्रमादित्य शोध पीठ संस्थान द्वारा प्रतिवर्ष विक्रम महोत्सव के अंतर्गत देश के इतिहासकार और पुरातत्व वेत्ताओं को आमंत्रित किया जाता है। इस वर्ष विक्रम कीर्ति मंदिर में 7, 8 और 9 अप्रैल को इतिहास समागम के बैनर तले कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. बालमुकुंद पांडे देश के पुरातत्व वैत्ता एवं इतिहासकारों द्वारा भारत के गौरवशाली इतिहास को जमीन के गर्भ से निकलकर साक्ष्य एवं प्रमाण के साथ प्रस्तुत करने में सक्षम है। जनमानस के सामने अंग्रेजों के द्वारा स्थापित पाश्चात्य इतिहासकारों के द्वारा रचा गया इतिहास ही भारत की शिक्षण संस्थानों में पढ़ाया जा रहा है। भारत के गौरवशाली इतिहास को सिखाने वाले महापुरुषों के बलिदान को लुटेरे ग्रुप में करार दिए गए हैं। ऐसे में अखिल भारतीय इतिहासकारों द्वारा भारत के इतिहास का पुनर्लेखन किया जाएगा। उज्जैन में विगत तीन वर्षों से प्रारंभ किया गया यह इतिहासकारों का महाकुंभ जो भारत के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराता है। यह कार्यक्रम प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा ही प्रारंभ किया गया था। इस कार्यक्रम में देश भर के इतिहासकार एवं पुराविद् शोध पत्र एवं अपने साक्ष्य प्रस्तुत कर भारत के इतिहास के प्रमाण देंगे। साथ ही भारतीय इतिहास के इस समागम में रामायण, महाभारत, प्राचीन काल गणना, ऋषि-मुनियों, धार्मिक स्थल, पेड़, पहाड़, वृक्षों सहित अन्य विषयों पर चर्चा होगी।