नई दिल्ली: केंद्र सरकार (Central government) की ओर से तीनों नए (Three New) आपराधिक कानूनों (Criminal Laws) को आगामी 1 जुलाई, 2024 से लागू करने की अधिसूचना (notification) शुक्रवार (24 फरवरी) को जारी कर दी है. तीनों नए आपराधिक कानून भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से तीनों नए आपराधिक न्याय विधेयकों को दिसंबर में मंजूरी दे दी थी. इसके साथ ही यह तीनों नए विधेयक कानून बन गए थे. इसमें भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम शामिल हैं. अधिसूचना जारी होने के बाद अब यह तीनों नए आपराधिक कानून पुराने कानूनों की जगह ले लेंगे.
अंग्रेजों के जमाने के कानूनों से मिलेगा छुटकारा
इन तीनों कानूनों का मुख्य उद्देश्य देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को बदलना है जोकि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कानूनों पर चल रही थी, इससे छुटकारा मिल सकेगा. इन कानूनों में राजद्रोह के अपराध को भी समाप्त किया गया है. इसमें राज्य के खिलाफ अपराध करने की एक नई धारा का शामिल किया गया है. इस नए कानून में राजद्रोह में सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधि, संप्रभुता या एकता का खतरे में डालने वाले अपराध, अलगाववादी गतिविधि जैसे अपराधों को शामिल किया गया है.
एकता व अखंडता को नुकसान पहुंचाने पर आजीवन कारावास का प्रावधान
इस नए कानून के तहत अगर कोई मौखिक तौर पर या लिखित या सांकेतिक रूप से ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देता है या फिर प्रयास भी करता है, एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है तो उसे आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है. इसके अतिरिक्त उस पर जुर्माने का प्रावधान भी नए कानून में सम्मलित किया गया है.
नए कानूनों में मॉब लिंचिंग पर सख्त सजा का प्रावधान
इसके अलावा इन नए कानूनों में मॉब लिंचिंग, यानी जब 5 या इससे ज्यादा लोगों का एक समूह मिलकर जाति या समुदाय आदि के आधार पर हत्या करता है, तो ग्रुप के हर सदस्य को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी.
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