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    सरकार को गारंटी कानून बनाना चाहिए, कल तय करेंगे आगे की रणनीति, राकेश टिकैत का बड़ा बयान

  • February 21, 2024

    नई दिल्ली: भारतीय किसान यूनियन (BKU) के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने एक बार फिर पंजाब और हरियाणा के किसानों (farmers of punjab and haryana) के प्रदर्शन पर अपनी बात रखी है. उन्होंने कहा कि किसानों का ये आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि बातचीत ही एकमात्र समाधान है. टिकैत ने कहा कि चंडीगढ़ में गुरुवार को संयुक्त किसान मोर्चा (United Kisan Morcha) की बैठक है. इस बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी. लेकिन फिलहाल एसकेएम इस आंदोलन में नहीं है. लेकिन एसकेएम की पूरी नजर है, जो घटनाक्रम हो रहा है, वो दुखद है. बातचीत होनी चाहिए.

    राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांगें स्पष्ट है. सरकार को गारंटी कानून बनाना चाहिए. सरकार हिचक क्यों रही है. प्रधानमंत्री ही कह दें कि हम दोबारा सरकार में आएंगे तो ये सारी चीजें करेंगे. MSP को लेकर कमेटी ने जो काम किया है, थोड़ी भी बात उससे आगे नहीं बढ़ी. टिकैत ने कहा कि सरकार सबकी खरीद नहीं कर सकती, आप एक कानून बना दो कि व्यापारी इससे कम नहीं खरीदेगा. अगर व्यापारी को लगता है कि इससे नुकसान है तो वो न खरीदे. अगर मार्केट में अनाज सस्ता होगा, तो किसान उसका आपस में समाधान निकाल लेगा. बिहार की मंडियां चालू होनी चाहिए. वहां कोई मंडी नहीं है. वहां कृषि का प्लेटफॉर्म तोड़ दिया गया. बिहार में किसान धीरे-धीरे खत्म हो रहा है. यही हाल पूरे देश का होना है.


    उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को उलझाकर रखना चाहती है. ये एक तरह से किसानों को बदनाम करने की साजिश है. ये नहीं चाहते कि कोई समाधान निकले. बता दें कि रविवार को किसान नेताओं और केंद्र सरकार के मंत्रियों के बीच चौथे राउंड की बातचीत हुई थी. इस बैठक में कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा, वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय मौजूद थे. इससे पहले केंद्र और किसानों के बीच 8, 12 और 15 फरवरी को भी बातचीत हुई थी. अब तक की बैठकें बेनतीजा ही रही हैं. हालांकि, रविवार को हुई चौथी बैठक में सरकार ने किसानों के सामने एक नया प्रस्ताव या यूं कहें कि ‘फॉर्मूला’ दिया है.

    सरकार के इस प्रस्ताव को किसानों ने खारिज कर दिया है. किसान नेताओं का कहना है कि सरकार ने जो प्रस्ताव दिया था, उसका नाप-तोल किया जाए तो उसमें कुछ भी नहीं है. सरकार के इस प्रस्ताव को लेकर किसान नेताओं ने सोमवार को शंभू बॉर्डर पर बैठक की थी. किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी पर कानूनी गारंटी की है. किसानों का कहना है कि सरकार एमएसपी पर कानून लेकर आए. किसान एमएसपी पर स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग भी कर रहे हैं.

    किसान संगठनों का दावा है कि सरकार ने उनसे एमएसपी की गारंटी पर कानून लाने का वादा किया था, लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका. स्वामीनाथन आयोग ने किसानों को उनकी फसल की लागत का डेढ़ गुना कीमत देने की सिफारिश की थी. आयोग की रिपोर्ट को आए 18 साल का वक्त गुजर गया है, लेकिन एमएसपी पर सिफारिशों को अब तक लागू नहीं किया गया है. और किसानों के बार-बार आंदोलन करने की एक बड़ी वजह भी यही है. इसके अलावा किसान पेंशन, कर्जमाफी, बिजली टैरिफ में बढ़ोतरी न करने, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ित किसानों पर दर्ज केस वापस लेने की मांग भी कर रहे हैं.

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