इंदौर। 20 फरवरी को लगने वाले मेले के लिए रोजगार कार्यालय ने जिन 1600 दिव्यांगों की सूची उपलब्ध कराई है, उनमें से 600 भी काबिल नहीं निकले। पुणे, मुंबई में रोजगार हासिल कर चुके कई लोग तो अपंग भी नहीं हैं। इस खुलासे के बाद गूगल पर आवेदन करने वालों को ही अब उन्हें ही रोजगार मिलेगा।
दिव्यांगजनों को परिवार पर बोझ बनने के बजाय आत्मनिर्भर बने की पहल करते हुए कलेक्टर आशीष सिंह ने दिव्यांगजन रोजगार मेले की तैयारी की, लेकिन जो सूची रोजगार कार्यालय द्वारा विभाग को दी गई, उसमें सामाजिक न्याय विभाग द्वारा की गई जांच में कई चौंकाने वाले खुलासे उजागर हुए हैं, जिनमें कई आवेदनकर्ता दिव्यांग नहीं पाए, गए, वहीं कई पहले से ही रोजगार में लगे हैं। 20 फरवरी को ग्रामीण हाट बाजार में आयोजित होने वाले इस मेले में कई कंपनियों और प्रतिष्ठान योग्यता के अनुसार दिव्यांगजन को रोजगार उपलब्ध कराएंगे। मेले के लिए जिला रोजगार कार्यालय द्वारा सामाजिक न्याय विभाग को 1600 दिव्यांगजन की सूची उपलब्ध कराई गई थी, जिसमें अधिकांश के सामने अन्य तरह की दिव्यंगता दर्ज की गई है। सामाजिक न्याय विभाग को रोजगार कार्यालय से पूरी जानकारी मांगने पर अलग-अलग तरह की दिव्यांगता को लेकर प्रमाण या जानकारी नहीं मिली तो उन्होंने फोन पर संपर्क कर ऑनलाइन पंजीयन के लिए प्रयास किए। फोन लगाने पर पता चला कि जिन नाम के सामने रोजगार कार्यालय ने दिव्यांग घोषित किया है, वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं, वहीं अधिकांश अन्य जगहों पर नौकरी कर रहे हैं।
बनाई अपनी सूची
अब विभाग द्वारा ऑनलाइन पंजीयन कराने वाले प्रतिभागियों पर ही ध्यान दिया जा रहा है। कलेक्टर कार्यालय में जनसुनवाई के दौरान आने वाले दिव्यांगजन को भी इस बारे में जानकारी दी जा रही है। कलेक्टर की इस पहल से जो दिव्यांगजन अभी तक परिवार की उपेक्षा का शिकार हो रहे थे, वह अब उन्हीं से स्नेह पा सकेंगे। परिवार में उन्हें भी सम्मान मिलेगा और वह उपेक्षित न होकर आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होंगे।
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