पटना (Patna) । बिहार (Bihar) के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) की एनडीए में वापसी के बाद महागठबंधन में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के सीट बंटवारे पर खींचतान तेज हो गई है। कांग्रेस के बाद अब लेफ्ट पार्टी सीपीआई माले ने लालू और तेजस्वी यादव की पार्टी आरजेडी (RJD) पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। सीपीआई माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने कहा कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के महागठबंधन से बाहर निकलने के बाद माले निश्चित रूप से आगामी चुनाव में बड़ी हिस्सेदारी मांगेगी। उन्होंने कहा कि एक-दो दिनों के भीतर आरजेडी समेत महागठबंधन के नेताओं से इस मामले पर चर्चा की जाएगी। इससे पहले कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी यही बात कही थी।
सीपीआई माले ने इससे पहले बिहार की 40 में से पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की मांग की थी। अब दीपांकर भट्टाचार्य आरजेडी से पांच से ज्यादा सीटों पर अपना दावा पेश करेंगे। हाल ही में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने भी कहा था कि उनकी पार्टी बिहार में 10 से ज्यादा सीटों पर अपना दावा पेश करेगी। नीतीश कुमार की वजह से महागठबंधन में सीटों का बंटवारा नहीं हो पा रहा था। अब जेडीयू गठबंधन से निकल गई है तो इसमें आसानी होगी।
सीपीआई माले के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य ने बुधवार को पटना में मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहार विधानसभा में उनकी पार्टी के 12 विधायक हैं। माले ने गठबंधन के लिए बलिदान दिया है। उन्होंने राज्यसभा चुनाव में माले को एक सीट नहीं मिलने पर निराशा जताई। दीपांकर ने कहा कि राज्यसभा की सीट पर उनकी पार्टी का दावा वैध था। हालांकि, कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के हस्तक्षेप के बाद महागठबंधन में हित में उन्होंने यह छोड़ दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि राज्यसभा चुनाव की रेस में उनका नाम नहीं था, उन्होंने ऐसी खबरों को आधारहीन बताया।
बता दें कि बिहार में राज्यसभा की 6 सीटों पर इस महीने होने वाले चुनाव के लिए महागठबंधन की ओर से तीन उम्मीदवार उतारे गए। आरजेडी से मनोज झा और संजय यादव को राज्यसभा भेजा जा रहा है। वहीं, एक अन्य सीट पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने नामांकन किया है। इस सीट पर माले ने भी अपना दावा किया था।
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