नई दिल्ली (New Delhi)। चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता (Validity of Electoral Bond Scheme) के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) आज फैसला सुनाएगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ (five member constitution bench) ने पिछले साल दो नवंबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे आज सुनाया जाएगा।
योजना के अनुसार, चुनावी बॉन्ड भारत के किसी भी नागरिक या देश में स्थापित ईकाई द्वारा खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर चुनावी बॉन्ड खरीद सकता है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 (ए) के तहत पंजीकृत राजनीतिक दल और लोकसभा या विधानसभा के पिछले चुनावों में कम से कम एक प्रतिशत वोट पाने वाले दल चुनावी बॉन्ड प्राप्त कर सकते हैं। बॉन्ड को किसी पात्र राजनीतिक दल द्वारा अधिकृत बैंक के खाते के माध्यम से भुनाया जा सकता है।
पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने की सुनवाई
कोर्ट ने मामले में 31 अक्तूबर से नियमित सुनवाई शुरू की थी। मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने की। इसमें न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। इस दौरान पक्ष और विपक्ष दोनों ओर से दलीलें दी गईं। कोर्ट ने सभी पक्षों को गंभीरता से सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।
क्या है योजना?
इस योजना को सरकार ने दो जनवरी 2018 को अधिसूचित किया गया था। इसके मुताबिक, चुनावी बॉण्ड को भारत के किसी भी नागरिक या देश में स्थापित इकाई की ओर से खरीदा जा सकता है। कोई भी व्यक्ति अकेले या अन्य व्यक्तियों के साथ संयुक्त रूप से चुनावी बॉण्ड खरीद सकता है। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत ऐसे राजनीतिक दल चुनावी बॉण्ड के पात्र हैं। शर्त बस यही है कि उन्हें लोकसभा या विधानसभा के पिछले चुनाव में कम से कम एक प्रतिशत वोट मिले हों। चुनावी बॉण्ड को किसी पात्र राजनीतिक दल द्वारा केवल अधिकृत बैंक के खाते के माध्यम से भुनाया जाएगा।
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