लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने 13 फरवरी को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद (National General Secretary of Samajwadi Party) से इस्तीफा दे दिया। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया कि उनके बयान को निजी बयान बताकर पार्टी पल्ला झाड़ लेती है। अब बुधवार को फिर से मौर्य ने इस पर बयान दिया है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई दो राय नहीं कि मैंने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया। मै जबसे पार्टी में आया हूं, तबसे वोट बैंक बढ़ाने के लिए काम कर रहा हूं।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि, समाजवादी पार्टी के कुछ छुटभैया नेता, जिनकी हैसियत एक वोट दिलाने की भी नहीं है, वो मुझ पर अनर्गल टिप्पणी करते हैं। मैंने बहुजन समाज के सम्मान और स्वाभिमान की लड़ाई शुरुआत से लड़ी है और आगे भी लडूंगा। कुछ नेता इस लड़ाई को जमीन पर मजबूती से लड़ने के बजाय दाएं-बाएं करते हैं, जबकि अभी इससे लड़ने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मेरी जिम्मेदारी है कि दलित, आदिवासियों और आखिरी व्यक्ति के लिए लड़ता रहूं।
सपा छोड़ने के बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि अभी गेंद राष्ट्रीय अध्यक्ष के पाले में हैं। अब आगे की जिम्मेदारी उनकी है। इस इस्तीफा और कल की समाजवादी पार्टी में पूजा से कोई ताल्लुक नहीं। ये अलग विषय है। मौर्य ने कहा कि मैंने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दिया है, पार्टी नहीं छोड़ी है। कल सपा मुख्यालय में शालिग्राम की पूजा थी, मुझे इसकी कोई जनकारी नहीं थी।
यूपी विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रह चुके राम गोविंद चौधरी ने स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे को लेकर सपा प्रमुख अखिलेश यादव को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार पिछड़े, अतिपिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक और सवर्ण समाज के गरीबों का हक छीनकर अपने कुछ उद्यमी मित्रों और उनके हित को ही देश हित मानने वाले सामन्ती सोच के लोगों को लगातार देती जा रही है।
रामगोविंद चौधरी ने कहा कि इस डबल इंजन की सरकार की करतूतों की वजह से महंगाई चरमपर है। बेरोजगारी सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी है। युवा रोजगार की तलाश में युद्ध के आगोश में जी रहे इजराइल में भी जाने को तैयार हैं। लोग आए दिन आत्महत्या कर रहे हैं। डबल इंजन की यह सरकार इसी को राम राज बता रही है।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि आसमान छू रही मंहगाई और बेतहाशा बढ़ी बेरोजगारी से लोगों का ध्यान हटाने के लिए रोज-रोज हिंदू मुसलमान का पहाड़ा पढ़ा रही है, नए नए पाखंड का सहारा ले रही है। आपके नेतृत्व में समाजवादी पार्टी का हर कार्यकर्ता और नेता साम्प्रदायिकता और पाखंड के इस जहर का असर कम करने के लिए संघर्ष कर रहा है। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य भी भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इस जहर का मजबूती से प्रतिवाद कर रहे हैं। इसलिए वह भाजपा और संघ के निशाने पर हैं।
रामगोविंद चौधरी ने कहा कि स्वामी प्रसाद मौर्य पिछड़े समाज से आते हैं। अपने जुझारू स्वभाव की वजह से इस समाज में उनका एक विशेष स्थान हैं। उनका पदाधिकारी बने रहना समाजवादी पार्टी के हित में है। इसलिए मेरा अग्रह है कि आप उनका इस्तीफा स्वीकार न करें। यह मेरी व्यक्तिगत राय है, जो आपके समक्ष रख रहा हूं। इस सम्बन्ध में जो आपका निर्णय होगा, उसे मैं अपनी राय मानकर इस पत्र को भूल जाऊंगा।
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