लखनऊ (Lucknow.)। राष्ट्रीय महासचिव पद ( National General Secretary post) से इस्तीफे के बाद सपा MLC स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) आहत दिखे. उन्होंने कहा कि मैं जो भी बोलता हूं उसे मेरा निजी बयान कह दिया जाता है. जबकि, दूसरे महासचिव का बयान पार्टी का बयान हो जाता है. आखिर यह भेदभाव क्यों? फिलहाल, मैंने अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को सारी चीजों की जानकारी दे दी है. वो जानते हैं कि मेरा इशारा किस ओर है. इस्तीफा देने से पहले भी मैंने उनको सभी परिस्थितियों से अवगत करा दिया था।
वहीं, अखिलेश की शालीग्राम पूजा के चंद घंटे बाद इस्तीफा देने पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि पूजा-पाठ निजी मसला है. मुझे पार्टी द्वारा नहीं बताया गया था कि पूजा-पाठ पार्टी ऑफिस में है. इसकी जानकारी नहीं थी।
अगर लखनऊ में होते तो क्या पूजा में सम्मिलित होते? इस सवाल के जवाब में मौर्य ने कहा कि मैं जहां पर था, वहां इस बात की जानकारी नहीं थी. एक पत्रकार के माध्यम से मुझे ऊंचाहार में जानकारी मिली. बाद में यदि पता चल भी जाता तो भी नहीं आ सकता था।
सपा विधायक मनोज पांडे के ‘मानसिक विक्षिप्त’ वाले बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि मुझे टुच्चे विधायकों की बातों पर नहीं बोलना है।
बकौल स्वामी- “कुछ छुटभैया नेता जिनकी हैसियत एक भी वोट दिलाने की नहीं है, वो मेरी बातों पर अनापशनाप बयानबाजी करते हैं. अब गेंद राष्ट्रीय अध्यक्ष जी के पाले में है, चूंकि मैंने बहुजन समाज के सम्मान स्वाभिमान की लड़ाई आज से नहीं शुरुआती दौर से लड़ी है, इस अभियान को आगे भी जारी रखूंगा.”
वहीं, पार्टी के सीनियर नेता राम गोविंद चौधरी द्वारा समर्थन में पत्र लिखने पर उन्होंने कहा कि वह पुराने समाजवादी हैं. अब उनकी बात मानना या मानना अखिलेश पर निर्भर करता है. पल्लवी पटेल के बयान पर मौर्य ने कहा कि मेरी अभी उनसे वार्ता नहीं हुई है. हालांकि, मुलाकात होती रहती है. मुझे राज्यसभा प्रत्याशियों के नामों पर ऐतराज नहीं है. मेरे इस्तीफे का इससे कोई लेना देना नहीं है।
अपने बयानों को लेकर आलोचना झेल रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि जो सनातन का अर्थ समझते हैं वह मेरे लिए ऐसी बातें नहीं कर सकते. मैंने लोगों को बीजेपी के मकड़जाल से निकालने का प्रयास किया है. पाखंड से निकालने का प्रयास किया है।
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