नई दिल्ली (New Delhi)। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (SC) में एक याचिका दायर कर 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो (Bilkis Bano) बलात्कार मामले में 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई को खारिज करने के फैसले में राज्य के खिलाफ कुछ टिप्पणियों को अनुचित बताते हुए उसे हटाने का अनुरोध किया है.
बिलकिस बानो से रेप और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणियां की थी.
गुजरात सरकार ने याचिका में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट का आठ जनवरी का फैसला स्पष्ट तौर पर त्रुटिपूर्ण था जिसमें राज्य को ‘अधिकार हड़पने’ और ‘विवेकाधिकार का दुरुपयोग’ करने का दोषी ठहराया गया था.
पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि 13 मई, 2022 के फैसले के विरोध में समीक्षा याचिका दायर नहीं करने के लिए गुजरात राज्य के खिलाफ ‘अधिकार हड़पने’ का कोई प्रतिकूल निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है.
याचिका के अनुसार अदालत ने कठोर टिप्पणी की कि गुजरात राज्य ने ‘मिलीभगत से काम किया और प्रतिवादी नंबर तीन/आरोपी के साथ साठगांठ की. याचिका में कहा गया कि यह टिप्पणी न केवल अनुचित है और मामले के रिकॉर्ड के खिलाफ है, बल्कि याचिकाकर्ता-गुजरात राज्य के बारे में गंभीर पूर्वाग्रह पैदा किया है.
दरअसल, बिलकिस बानो केस में सभी 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने रिहा कर दिया था. इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार के खिलाफ सख्त टिप्पणियां करते हुए सभी दोषियों को रिहा करने का फैसला रद्द कर दिया था. कोर्ट से इसे गुजरात के अधिकार क्षेत्र से बाहर का मामला बताया था.
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