इंदौर। विधानसभा चुनाव में मिली पराजय के बाद सत्ता से दूर हुई कांग्रेस अब जनता से भी दूर होती जा रही है। सत्ता पर काबिज सरकार जनता पर लादे जा रहे मनमाने निर्णय विपक्ष का कोई भी जनप्रतिनिधि आवाज उठाने को तैयार नहीं है। शहर में आए दिन नई-नई समस्याओं से दो-दो हाथ करने वाले रहवासियों की आवाज उठाने वाला अब विपक्ष में कोई जनप्रतिनिधि नहीं बचा है। सत्ताधारी पार्टी के अफसर जनता पर जो निर्णय थोप रहे हैं, उसे मन मसोसकर सभी को स्वीकार्य करना पड़ रहा है। फिर चाहे वह जवाहर मार्ग और एमजी रोड का वनवे करने का निर्णय हो या फिर अवैध कनेक्शन के नाम पर खुले आम नागरिकों से की जा रही वसूली हो।
शहर में यातायात का भी ऐसा कचूमर निकला हुआ है कि हर तरफ गलियों में जाम की स्थिति प्रतिदिन बन रही है। शहर में अपराध का ग्राफ दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है। नाबालिग बच्चों के अपहरण के मामले शहर में प्रतिदिन घटित हो रहे हैं। अवैध रूप से बेची जाने वाली अवैध शराब, मादक पदार्थ मोहल्लों में गली-गली बिक रहे हैं। शहर के रहवासी यह सोचने पर मजबूर हो गए हैं कि समस्या लेकर हम सरकार के पास जाते हैं तो वहां तानाशाही ही देखने को मिलती है, वहीं विपक्ष के पास जाने की सोचते हैं तो वह तो पहले से ही गहरी नींद में दिखाई देते हैं। पक्ष और विपक्ष के बीच जनता के मुद्दे उठाने वाले जनप्रतिनिधि अब शहर में दिखाई नहीं दे रहे हैं। अब भी समय है। अगर यही हाल रहा तो सत्ता से तो दूर हुई है कांग्रेस अब जनता से भी कोसों दूर हो जाएगी, क्योंकि महिलाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर कांग्रेस की महिला नेत्रियां सडक़ पर नजर आती हैं और न ही युवाओं से जुड़े मुद्दों को लेकर युवक कांग्रेस नजर आ रही है, वहीं विधानसभा चुनावों के बाद शहर कांग्रेस तो जनसमस्याओं को लेकर कोई आन्दोलन ही नहीं कर पाई है।
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