img-fluid

TMC का एक फैसला और BJP ने बंगाल में बदल डाली लोकसभा चुनाव की पूरी रणनीति

February 11, 2024

नई दिल्ली: BJP की पश्चिम बंगाल (West Bengal) इकाई राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 35 पर जीत दर्ज करने के अपने लक्ष्य के लिए रणनीति बदल ली है। इस कवायद में भाजपा (BJP) ने अब भ्रष्टाचार के मुद्दे से अपना ध्यान हटाकर अयोध्या में राम मंदिर (Ram Mandir) और संशोधित नागरिकता कानून (CAA) जैसे भावनात्मक मुद्दों को उठाने शुरू किया है। भाजपा की रणनीति तब बदली है जब टीएमसी (TMC)  ने ये फैसला किया है कि पश्चिम बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) वह विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ से अलग होकर अकेले लड़ेगी। इस कदम ने भाजपा के भीतर टीएमसी विरोधी वोट हासिल करने की उम्मीदें बढ़ा दी हैं।

भ्रष्टाचार का मुद्दा नहीं भुना पाई भाजपा
दरअसल, भाजपा को 2014 में 17 प्रतिशत वोट मिले थे जो 2019 में बढ़कर 40 प्रतिशत हो गया जिसके परिणामस्वरूप उसे 18 लोकसभा सीटें मिली थीं। राज्य में 2021 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से आंतरिक कलह और चुनावी झटकों के बावजूद ममता बनर्जी सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को भुनाने की भाजपा की कोशिशें रंग नहीं लायी हैं। लिहाजा लोकसभा की 42 में से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य तय करते हुए भाजपा अब राम मंदिर और सीएए जैसे भावनात्मक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। भाजपा की प्रदेश महासचिव अग्निमित्रा पॉल ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा और सीएए लागू करना दोनों ही पार्टी के अहम मुद्दे हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘दोनों मुद्दे भावनात्मक हैं और लोग इससे जुड़ सकते हैं।’’

हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने का मकसद
भाजपा सांसद और राज्य के पूर्व अध्यक्ष दिलीप घोष ने इन मुद्दों की भावनात्मक अपील का उल्लेख करते हुए हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने और खासतौर से मतुआ समुदाय की शरणार्थी चिंता को हल करने में इनके ऐतिहासिक महत्व पर जोर दिया। घोष ने कहा, ‘‘सीएए लागू करने के वादे ने भाजपा की चुनावी सफलता में एक अहम भूमिका निभायी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राम मंदिर के मुद्दे ने पहले भी भाजपा को फायदा पहुंचाया है और इस बार भी यह पश्चिम बंगाल समेत देशभर के हिंदुओं को एकजुट करने में हमारी मदद करेगा।’’


सीएए के सहारे मतुआ वोटबैंक साधने की कोशिश
दरअसल, राज्य की अनुसूचित जाति की आबादी का एक अहम हिस्सा मतुआ समुदाय के लोग पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) में धार्मिक उत्पीड़न से भागकर 1950 से पश्चिम बंगाल में रह रहे हैं। उनका एकजुट होकर मतदान करना उन्हें एक अहम मतदाता वर्ग बनाता है खासतौर से सीएए पर भाजपा के रुख को देखते हुए। सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के वादों पर भरोसा करते हुए मतुआ समुदाय ने 2019 में राज्य में सामूहिक रूप से भाजपा के लिए वोट किया था। केंद्रीय मंत्री और मतुआ समुदाय के नेता शांतनु ठाकुर ने हाल में कहा था कि सीएए को जल्द ही लागू किया जाएगा।

टीएमसी विरोधी वोट मिलने में होगी मदद
भाजपा को यह भी लगता है कि पश्चिम बंगाल में ‘इंडिया’ (इंडियन नेशनल डेवलेपमेंटल इन्क्लूसिव एलायंस) गठबंधन से अलग होकर अकेले चुनाव लड़ने के टीएमसी के फैसले से उसे टीएमसी विरोधी वोट मिलने में मदद मिलेगी। भाजपा की रणनीति का जवाब देते हुए टीएमसी को मतदाताओं से अपनी अपील पर अब भी भरोसा है और वह भाजपा की साम्प्रदायिक राजनीति को अप्रभावी बताकर खारिज कर रही है। टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘‘मतदाता पश्चिम बंगाल में भाजपा के विभाजनकारी हथकंडों को नाकाम कर ममता बनर्जी का समर्थन करेंगे।’’ राजनीतिक विश्लेषक मैदुल इस्लाम ने कहा कि भावनात्मक मुद्दों पर भाजपा की निर्भरता उसकी संगठनात्मक कमजोरियों से पैदा हुई है। उन्होंने कहा, ‘‘राम मंदिर, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और सीएए जैसे मुद्दे पश्चिम बंगाल में आगामी लोकसभा चुनाव में हावी रहेंगे।’’

Share:

लोकसभा चुनाव 2024: पंजाब में भाजपा की बढ़ेगी मुश्किल? अकाली दल से नहीं बनी बात

Sun Feb 11 , 2024
नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा नीत एनडीए लगातार अपना कुनबा बढ़ाने के लिए गठबंधन का सहारा लेने की कोशिशें कर रहा है। बिहार में जदयू के साथ गठबंधन के बाद अब बीजेपी पंजाब में भी ताकत आजमाने के लिए अकाली दल से गठबंधन करने को उत्सुक है, जिसे लेकर भाजपा और अकाली दल […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
सोमवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2024 Agnibaan , All Rights Reserved