जबलपुर: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के जबलपुर (Jabalpur) जिले के कुटुम्ब अदालत (Family Court) के चीफ जस्टिस के एन सिंह की अदालत ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया है कि पति (Husband) के साथ रहने से मना करने वाली पत्नी (Wife) भरण-पोषण (Maintenance) की पात्र नहीं है. जबलपुर निवासी सचिन तंतुवाय के आवेदन पर स्पेशल जज (special judge) ने यह फैसला सुनाया है. अनावेदक की ओर से अधिवक्ता जीएस ठाकुर और अरुण कुमार भगत ने पक्ष रखा.
ये है पूरा मामला
अनावेदक सचिन तंतुवाय की तरफ से दलील दी गई कि उसकी पत्नी 15 दिसंबर 2020 से ससुराल छोड़कर मायके में रहने लगी है. पति द्वारा नोटिस मिलने के बाद उसने कुटुम्ब अदालत में प्रकरण प्रस्तुत कर भरण-पोषण की मांग कर दी. इतना ही नहीं पत्नी ने सचिन के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का प्रकरण भी दर्ज करा दिया. साथ ही उसने बारह लाख रुपये का चेक अनादरित होने का परिवाद भी कोर्ट में प्रस्तुत किया.
पत्नी ने अपने न्यायालयीन कथनों में साफ किया है कि मुझे पति के साथ नहीं रहना है. इसके बाद उपरोक्त तर्कों और प्रस्तुत किए गए न्यायदृष्टांत से सहमत होकर अदालत ने पत्नी के भरण-पोषण का आवेदन निरस्त कर दिया.
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