नई दिल्ली (New Dehli)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi)ने हाल ही में संसद में ‘अबकी बार 400 पार’ का नारा दिया है। उन्होंने दावा किया है कि बीजेपी(BJP) को अकेले 370 से अधिक सीटें आएंगी और एनडीए के घटक दलों (NDA constituents)को मिलाकर यह आंकड़ा 400 के पार चला जाएगा। पीएम मोदी के इस नारे को हकीकत बनाने में उनकी पार्टी जुट गई है। क्षेत्रीय दलों से बात की जा रही है और उन्हें एनडीए में शामिल करने के लिए पहल की जा रही है। जेडीयू के साथ गठबंधन होने के बाद भाजपा ने टीडीपी और अकाली दल के साथ बातचीत शुरू कर दी है। वहीं, राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी के साथ बातचीत में लगी हुई है।
आपको बता दें कि 2019 में एनडीए छोड़ने वाले टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू बुधवार को दिल्ली पहुंचे। उन्होंने सबसे पहले भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा के साथ मुलाकात की। इसके बाद आधी रात के आसपास गृह मंत्री अमित शाह के घर पहुंचे। यहां दोनों नेताओं के बीच आगामी राजनीति पर वार्ता हुई। ऐसा माना जाता है कि चंद्रबाबू नायडू से नाराजगी के साथ-साथ उनके प्रतिद्वंद्वी और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी से लगातार मिल रहे समर्थन के कारण बीजेपी अब तक टीडीपी के साथ दोस्ती को अंजाम तक नहीं पहुंचाया है।
वहीं, बीजेपी अपने एक और पुराने साथी के संपर्क में है। अकाली दल को दोबारा एनडीए में शामिल कराने पर चर्चा जारी है। आपको बता दें कि अकाली दल ने कृषि बिलों के विरोध में एनडीए छोड़ दिया था। माना जाता है कि अकाली प्रमुख सुखबीर बादल ने पंजाब में गठबंधन के लिए भाजपा के एक वरिष्ठ पदाधिकारी के साथ प्रारंभिक बातचीत की है। पंजाब में दोनों ही पार्टियां संघर्ष कर रही हैं।
अकाली अगर साथ आते हैं तो भाजपा को ऐसे लोगों का समर्थन मिलेगा, जिन्होंने सीमावर्ती राज्य में हिंदू-सिख दोस्ती को मजबूत करने के लिए गठबंधन को महत्वपूर्ण माना है। उन्होंने लिए अकाली और बीजेपी के गठबंधन की वकालत की है। दोनों को एक प्राकृतिक सहयोगी करार दिया है।
सूत्रों का कहना है कि दिवंगत जाट नेता चौधरी चरण सिंह के वंशज जयंत चौधरी के साथ बातचीत अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है। सूत्रों ने कहा कि औपचारिक घोषणा ही सिर्फ बाकी है। आरएलडी और बीजेपी के बीच सीटों की संख्या पर सहमति बन चुकी है। बस विशिष्ट सीटों पर मामला फंसा हुआ है।
आपको बता दें कि बुधवार को बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम मोदी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद उन्होंने दोहराया कि वह इसे फिर से नहीं छोड़ेंगे। गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा के साथ भी मुलाकात हुई। माना जाता है कि उन्होंने बिहार से संबंधित कई शासन और राजनीतिक मुद्दों पर चर्चा की। पत्रकारों से नीतीश कुमार ने 2013 में नाता तोड़ने से पहले 1995 से भाजपा के साथ अपनी गोस्ता को याद करते हुए कहा कि अब कहीं नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा, “अब कभी नहीं। हम यहीं (एनडीए में) बने रहेंगे।”
नीतीश कुमार को 12 फरवरी को विधानसभा में विश्वास मत का सामना करना है। 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा और जद (यू) ने बिहार में 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा। अभिभाजित लोक जनशक्ति पार्टी को छह सीटें मिली थी। एनडीए में अब बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा भी शामिल हैं।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved