इलाहाबाद: वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास तहखाना विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज भी सुनवाई जारी है. दूसरे दिन सबसे पहले हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन अपनी आगे की दलील पेश कर रहे हैं. हिंदू पक्ष ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि एएसआई को अपने वैज्ञानिक सर्वेक्षण के दौरान व्यास तहखाने के अंदर कई कलाकृतियां और मूर्तियां मिली हैं.
जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच में चल रही सुनवाई में हिंदू पक्ष ने बताया कि उनकी पहली प्रार्थना जिसमें वाराणसी कोर्ट द्वारा रिसीवर की नियुक्ति के लिए 17 जनवरी को अनुमति दी गई थी. कुछ चूक के कारण, दूसरी प्रार्थना व्यास तहखाना के अंदर प्रार्थना करने के लिए की अनुमति नहीं दी गई थी, इसलिए जब उनके द्वारा जिला जज से दूसरी प्रार्थना की भी अनुमति देने का अनुरोध किया तो उन्होंने मेरे मौखिक आवेदन पर इसकी अनुमति दे दी.
तहखाना के अंदर हर वर्ष एक बार पूजा हमेशा की जाती: हिंदू पक्ष
सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की तरफ से कोर्ट को बताया गया कि तहखाना के अंदर हर वर्ष के अंदर एक बार पूजा हमेशा की जाती रही है. हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कुछ डाक्यूमेंट्स कोर्ट को सौंपे हैं. जैन ने कहा है कि इन दस्तावेजों से साफ है कि व्यास तहखाना में 2016 में भी रामचरित मानस का पाठ किया गया था और उस वक्त तमाम अधिकारी भी मौजूद थे.
जैन का कहना है कि तहखाना में वैसे भी हर साल पूजा होती रहती है. ज्ञानवापी मस्जिद समिति का तहखाना पर कभी कोई कब्जा नहीं रहा है, मस्जिद कमेटी को पूजा अनुष्ठानों पर आपत्ति दर्ज करने का कोई अधिकार नहीं है. उन्होंनेकहा है कि इस बारे में हमने 200 साल पुराने डॉक्यूमेंट भी कोर्ट को मुहैया कराए हैं. वहां बहुत पहले से रामायण का पाठ होता रहा है.
मस्जिद कमेटी के वकील ने कहा- डीएम ने जल्दबाजी में काम किया
मस्जिद कमेटी के वकील फरमान अब्बास नकवी ने फिर से अपनी दलीलें पेश करते हुए कहा है कि वाराणसी के डीएम ने इस मामले में अपनी जिम्मेदारी को ठीक से नहीं निभाया. नकवी का कहना है कि कोर्ट ने 17 जनवरी को डीएम को रिसीवर नियुक्त किया. फिर उन्हीं को ताला खुलवाकर पूजा शुरू कराने का आदेश नहीं दिया जा सकता. डीएम के पास तहखाना को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी थी लेकिन उन्होंने एक पक्षकार की इच्छा पर जल्दबाजी में काम किया.
हाईकोर्ट ने कही यह बात
दोनों ओर से पेश की गई दलीलों की सुन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि अब तक न तो व्यास परिवार और न ही ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी प्रथम दृष्टया यह साबित कर पाए है कि मस्जिद का दक्षिणी तहखाना किसके कब्जे में था. फिलहाल इस मामले में अभी सुनवाई चल रही है. आज इस पर हाईकोर्ट द्वारा फैसला सुनाया जा सकता है.
कोर्ट ने यूपी सरकार के एडवोकेट से किया जवाब तलब
कोर्ट ने यूपी सरकार के एडवोकेट जनरल से जवाब तलब किया है. कोर्ट ने उनसे पूछा है कि क्या आपने तहखाना पर कब्जा हासिल कर लिया है और वहां पुख्ता इंतजाम कर दिए हैं? कोर्ट के इस सवाल पर एडवोकेट जनरल ने कहा है कि इस बारे में हमें सरकार से जानकारी हासिल करनी होगी. कोर्ट के समक्ष जानकारी पेश करने के लिए कम से कम 48 घंटे का वक्त चाहिए. हाईकोर्ट ने मोहम्मद असलम भूरे केस का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या राज्य सरकार इसमें जरूरी पक्षकार है. असलम भूरे ने ही 1991 में बाबरी-रामजन्मभूमि मामले में सबसे पहले यथास्थिति की मांग की थी.
मुस्लिम पक्ष ने पेश की थी यह दलील
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वाराणसी कोर्ट के निर्णय के खिलाफ अपील दायर की थी. वाराणसी की अदालत ने व्यास जी के तहखाने में पूजा अर्चना करने की अनुमति का फैसला सुनाया था. मंगलवार को इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी. सुनवाई के दौरान सबसे पहले मुस्लिम पक्ष ने अपनी दलीलें पेश की थी. मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एस.एफ.ए नकवी ने कहा कि 31 जनवरी, 2024 के आदेश के तहत जिला जज ने उस वाद में शुरुआती चरण में मांगी गई अंतिम राहत प्रदान की जिसकी अनुमति नहीं दी जा सकती है. नकवी ने आगे कहा कि यह आदेश बहुत जल्दबाजी में पारित किया और वह भी उस दिन जब संबंधित न्यायाधीश सेवानिवृत्त होने जा रहे थे.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved