इंदौर। हरदा का हादसा अत्यंत दु:खद तो है ही, वहीं सरकारी सिस्टम की पोल खोलने वाला भी है। कुछ साल पहले पेटलावद में इसी तरह का हादसा हुआ था, जिसमें 79 लोगों की मौत हो गई। मगर उससे भी अफसरों-नेताओं ने कोई सबक नहीं सीखा और हरदा की पटाखा फैक्ट्री तमाम नियमों को धता बताकर चलती रही। यहां तक कि कई मर्तबा लाइसेंस सस्पेंड हुए, तो कि कागजों पर ही रहे और मौके पर फैक्ट्री-गोदाम यथावत रहे। नतीजतन कल हुए विस्फोट के बाद अब प्रदेशभर में जांच-पड़ताल का हल्ला मचा है और कल ही फैक्ट्री मालिक राजीव, सोमेश अग्रवाल, रफीक खान व अन्य को गिरफ्तार किया गया। आज मुख्यमंत्री भी हरदा दौरा कर रहे हैं। घोषित तौर पर भले ही एक दर्जन मौतों का खुलासा किया है, मगर अनुमान है कि इससे कई गुना अधिक मौतें हुई हैं, क्योंकि 200 से अधिक लोग फैक्ट्री और आसपास के परिसर में मौजूद बताए गए हैं।
यह आश्चर्य की बात है कि हरदा की जिस फैक्ट्री में विस्फोट हुआ उसमें 9 साल पहले भी इस तरह की एक घटना में दो मजदूरों की मौत हो गई थी और फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल के साथ जमीन मालिक दिनेश शर्मा को इस मामले में कोर्ट ने 10 साल की सजा भी सुनाई। मगर डेढ़ माह में ही वह जमानत पर ना सिर्फ छूटा, बल्कि जोर-शोर से अवैध रूप से पटाखों का निर्माण शुरू कर दिया और 5 फैक्ट्रियां खोल ली और आसपास के लोगों से भी पटाखे बनवाने लगा। मजे की बात यह है कि 2022 में कलेक्टर ने इसका लाइसेंस सस्पेंड किया। मगर तत्कालीन नर्मदापुरम् संभागायुक्त, जो कि वर्तमान में इंदौर पदस्थ हैं, मालसिंह भयडिय़ा ने कलेक्टर के आदेश पर स्टे दे दिया। हालांकि अब अपनी सफाई में संभागायुक्त का कहना है कि अपील के बाद मामले का निराकरण करने के निर्देश दिए थे और दीपावली होने के चलते अगली पेशी तक के लिए ही स्टे दिया गया था।
फिलहाल तो अन्य अफसरों के साथ-साथ संभागायुक्त पर भी ऊंगलियां उठ रही हैं और सोशल मीडिया पर इस तरह की खबरें वायरल भी हो रही है, जिसमें मुख्यमंत्री से दोषी अफसरों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की मांग की जा रही है। इतना ही नहीं, पेटलावद में भी इसी तरह का हादसा कुछ वर्ष पूर्व हुआ था। तब भी इंदौर सहित प्रदेशभर में पटाखा कारोबारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। मगर 79 मौतों के मामले में जो 7 आरोपी थे, वे सभी दिसम्बर-2021 में कोर्ट से बरी हो गए और सिर्फ थाना प्रभारी पर 1600 रुपए की वेतनवृद्धि रोकने का निर्णय हुआ। हालांकि पेटलावद हादसे में उसका मुख्य आरोपी राजेन्द्र कासवा भी मारा गया था। मगर सह आरोपी सहित अन्य बरी हो गए। कई जिलों में इस तरह के हादसे हुए भी। मगर शासन-प्रशासन ने कोई सबक नहीं सीखा और नतीजे में हरदा का यह भीषण हादसा हुआ। इतना ही नहीं, केन्द्र सरकार ने सभी प्रदेशों को अग्रि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए फायर एक्ट लागू करने के निर्देश दिए। मगर मध्यप्रदेश में पिछले 3 साल से यह एक्ट भी अटका पड़ा है। अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कल वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सभी जिला कलेक्टरों से चर्चा की और 24 घंटे में उन्हें अपने जिलों में संचालित पटाखा फैक्ट्री, गोदामों की जानकारी भेजने और कार्रवाई करने के निर्देश दिए। वहीं आज मुख्यमंत्री दोपहर में हरदा भी जा रहे हैं, जहां वे पीडि़तों से मुलाकात भी करेंगे। वहीं घायलों के इलाज के लिए हरसंभव मदद की जा रही है और 4-4 लाख रुपए की राशि भी मृतकों के परिजनों को उपलब्ध कराई गई। प्रधानमंत्री ने भी 2-2 लाख की सहायता की घोषणा करते हुए इस घटना पर दु:ख जताया।
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