नई दिल्ली: उत्तराखंड (Uttarakhand) में समान नागरिक संहिता (UCC) को विधानसभा में पेश किए जाने के बाद अब राजस्थान (Rajasthan) में भी इसे लाने की चर्चा तेज हो गई है. राजस्थान की सरकार ने भी यूसीसी को लागू करने की तैयारी में जुट गई है. राजस्थान के कैबिनेट मिनिस्टर कन्हैया लाल चौधरी ने कहा है कि हम भी यूसीसी को लागू करने की कोशिश कर रहे हैं और तैयारी भी शुरू हो गई है. उन्होंने यूसीसी को लाने के लिए उत्तराखंड की सरकार को बधाई भी दी.
कैबिनेट मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने कहा कि यूसीसी को लाने वाला उत्तराखंड पहला राज्य बना है, उनको बधाई देता हूं. हम भी यूसीसी लागू करने की तैयारी कर रहे हैं. देश में कानून तो एक ही चलेगा, दो नहीं चल सकता है. भारत में तो यूसीसी बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से बात करके इसको लागू करने के लिए चर्चा करने जा रहे हैं. वहीं, हिजाब के मुद्दे पर मंत्री ने कहा कि इसे हटा देना चाहिए. ड्रेस कोड हर जगह चल रहा है, ऐसे में हिजाब को हटाया जाना चाहिए.
राजस्थान में पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करते हुए बीजेपी सत्ता पर काबिज हो गई. भजनलाल शर्मा को मुख्यमंत्री बनाया गया है. बीजेपी सरकार की वापसी के बाद से ही राजस्थान में यूसीसी को लेकर चर्चा और मांग दोनों तेज हो गई है. भजनलाल सरकार के कई मंत्रियों का मानना है कि राज्य में यूसीसी बहुत जरूरी है.
कैबिनेट मंत्री के बयान पर जयपुर कांग्रेस विधायक रफीक खान ने पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी वालों की राजनीति ही एक ही मुद्दे पर टिकी हुई है. बीजेपी देश को बांटने का काम कर रही है. ये लोग राजस्थान में यूजीसी लागू नहीं कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव को लेकर यह बीजेपी पॉलिटिकल स्टंट है. ऊपर से आदेश आते हैं और उसे लेकर राजस्थान के विधायक और मंत्री अपनी परफॉर्मेंस दिखाने के लिए ऐसे बयान देते हैं. बीजेपी के कुछ लोग इस बात को मानते भी हैं कि ऐसे बयान देना हमारी मजबूरी है.
दरअसल, उत्तराखंड की पुष्कर धामी सरकार ने आज यानी मंगलवार को यूसीसी बिल विधानसभा में पेश कर दिया. अब इस बिल पर चर्चा होगी और फिर उसे पास के लिए वोटिंग होगी. विधानसभा में बीजेपी बहुमत में है ऐसे संभावना है कि इसी सत्र में बिल पास हो जाएगा. बिल पास होने के बाद उसे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा.
क्या खास है इस बिल में?
UCC के तहत सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 18 साल होगी
पुरुष-महिला को तलाक देने के समान अधिकार मिलेगा
लिव इन रिलेशनशिप डिक्लेयर करना जरूरी है
लिव इन रजिस्ट्रेशन नहीं कराने पर 10 हजार रुपए का जुर्माना होगा
लिव-इन में पैदा बच्चों को संपत्ति में समान अधिकार है
महिला के दोबारा विवाह में कोई शर्त नहीं है
अनुसूचित जनजाति दायरे से बाहर हैं
बहु विवाह पर रोक, पति या पत्नी के जीवित रहते दूसरी शादी नहीं हो सकती है.
शादी का रजिस्ट्रेशन जरूरी बिना रजिस्ट्रेशन सुविधा नहीं है
उत्तराधिकार में लड़कियों को बराबर का हक मिलेगा
विधानसभा में बिल पास होने और राज्यपाल की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद देवभूमि उत्तराखंड देश में यूसीसी लागू करने वाला आजादी के बाद पहला राज्य होगा. सूत्रों के अनुसार, मसौदे में 400 से ज्यादा धाराएं हैं, जिसका लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से पैदा होने वाली विसंगतियों को दूर करना है.
धामी सरकार ने यूसीसी पर लोगों और विशेषज्ञों की राय जानने के लिए एक हाई लेवल कमेटी बनाई थी. कमेटी ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. जिसके बाद अब सरकार ने विधानसभा में बिल को पेश किया है. कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में यूसीसी से जुड़ी उन हर छोटी-बड़ी चीजों के बारे में अपनी राय दी है.
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