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    जांच के घेरे में सर्दी-खांसी और दर्द की ये 3 दवाएं, 30 साल से बाजार में उपलब्ध

  • February 06, 2024

    नई दिल्‍ली (New Dehli)। आमतौर पर इस्तेमाल (commonly used)की जाने वाली दर्द, खांसी और सर्दी की तीन दवाएं जांच के दायरे (scope of investigation)में हैं। केंद्रीय दवा नियामक (central drug regulator)ने इन दवाओं को बनाने वाली कंपनियों (companies)से इनका असर और सुरक्षा जांचने के वास्ते नए सिरे से ट्रायल करने को कहा है। ये वो दवाएं हैं जिन्हें अक्सर सर्दी और खांसी के समय दिया जाता है। इसके अलावा, निश्चित खुराक संयोजन (एफडीसी) में उपलब्ध एक दर्द निवारक दवा भी जांच के घेरे में है। ये दवा पिछले 30 साल से अधिक समय से बेची जा रही है। एक सिंगल डोज देने के लिए दो या उससे अधिक दवाओं को मिलाकर देने को एफडीसी (fixed dose combinations) कहा जाता है।


    रिपोर्ट के मुताबिक, खांसी और सर्दी की जिन दवाओं का सुरक्षा आकलन करने के लिए नए सिरे से ट्रायल का सुझाव दिया गया है उनमें में से एक में पैरासिटामोल (एंटीपायरेटिक), फिनाइलफ्राइन हाइड्रोक्लोराइड (नाक संबंधी सर्दी-खांसी की दवा) और कैफीन एनहाइड्रस (प्रोसेस्ड कैफीन) युक्त दवाएं शामिल हैं। दूसरी दवा में कैफीन एनहाइड्रस, पैरासिटामोल, हाइड्रोक्लोराइड (नमक) और क्लोरफेनिरामाइन मैलेट (एंटी-एलर्जी दवा) शामिल हैं। केंद्रीय औषधि नियामक प्राधिकरण (सीडीएससीओ) ने तीसरी यानी दर्द निवारक दवा के लिए पोस्ट-मार्केटिंग निगरानी की सलाह दी है ताकि उसकी सुरक्षा और असर को लेकर डाटा तैयार किया जा सके। ये दवा नॉन-स्टेरॉयडल एंटी इंफ्लेमेटरी ड्रग के तहत आती है। इस दवा में पैरासिटामोल, प्रोपीफेनाजोन (एक एनाल्जेसिक और एंटीपायरेटिक) और कैफीन होता है।

    दर्द की दवा के मामले में, समिति ने नरम रुख अपनाया हुआ है। इसने हल्के से मध्यम सिरदर्द के लिए दवा को बनाने और बेचने की इजाजत दे दी है लेकिन एक शर्त रखी है कि इस दवा के डोज को पांच से सात दिनों से अधिक नहीं लिया जाना चाहिए। औषधि नियामक प्राधिकरण का आदेश 1988 से पहले की कुछ दवाओं की जांच करने के लिए 2021 में गठित एक विशेषज्ञ समिति के सुझावों पर आधारित है। कहा जा रहा है कि इन दवाओं को बनाने और बेचने के लिए लाइसेंसिंग ऑथारिटी से उचित अप्रूवल नहीं मिला था।

    एफडीसी यानी एक से अधिक दवाओं को एक साथ देना तब ही उचित माना जाता है जब वे ज्यादा असर डालने, दवाओं के गलत इफेक्ट को कम करने, गोलियों के बोझ को कम करने का काम करें। इंडियन जर्नल ऑफ फार्माकोलॉजी में प्रकाशित एक लेख में, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में फार्माकोलॉजी के पूर्व प्रमुख डॉ वाई के गुप्ता और डॉ सुगंती एस रामचंद्र ने भारत में उपलब्ध एफडीसी को ‘द गुड, द बैड एंड द अग्ली’ के रूप में बांटा गया है।

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