बेंगलुरु (Bengaluru) । एक सेल्फ ड्राइविंग कार (self driving car) का वीडियो सोशल मीडिया (social media) पर तेजी से वायरल (video viral) हो रहा है. कार कोई टेस्ला की नहीं है, बल्कि इसे भारत (India) के युवाओं ने तैयार किया है. पूरा खेल एक मोबाइल एप का है जिसे बेंगलुरु के तीन दोस्तों ने मिलकर बनाया है. इसी से पूरी कार कंट्रोल की जाती है. शख्स ने मारुति सुजुकी K10 को सेल्फ ड्राइविंग कार में बदल दिया है. कार का वीडियो लुधियाना-जालंधर रोड का है.
ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर FlowPilot की मदद से कार खुद ही सड़क पर दौड़ रही है. मनकरन सिंह ने अपने दो दोस्तों के साथ मिलकर तीन साल की अवधि में इस एप को डिजाइन किया है. इंडिया टुडे से बातचीत में मनकरन ने बताया कि मोबाइल फोन को इस तरह फिट किया जाता है कि बैक कैमरा सड़क की तरफ और सामने से आ रही गाड़ियों की तरफ पॉइंट करे और फ्रंट कैमरे कार के अंदर पॉइंट करे, ताकि ड्राइवर भी अलर्ट रहे. इसी तरह सॉफ्टवेयर को इनपुट मिलता है और कार खुद चलने लगती है.
क्या है FlowPilot एप?
मनकरन ने बताया कि इस टेक्निक का इस्तेमाल करने के दौरान ड्राइवर को पूरा ध्यान देना होगा और वे पूरी तरह सॉफ्टवेयर पर निर्भर नहीं हो सकते. FlowPilot एप कार ड्राइवर के एक एसिस्टेंस के रूप में काम करता है. हाईवे पर ड्राइविंग के दौरान ड्राइवर को इससे बड़ी मदद मिल सकती है. इस एप को भीड़ वाले शहरों में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता.
My second hand redmi note 9 pro running flowpilot is driving my alto k10 😂Can it get more desi than this ?#flowpilot #openpilot #ai #robotics #autonomous #cars #Android pic.twitter.com/eQa3zHSbFA
— mansin (@Mankaran32) May 14, 2023
ऑल्टो K10 कार को कैसे बनाया सेल्फ ड्राइविंग?
यह बताते हुए कि उन्होंने सॉफ्टवेयर को ऑल्टो K10 कार में कैसे फिट किया, मनकरन ने कहा कि पुरानी कारें कमांड का पालन नहीं कर सकती हैं और इसलिए, कार में एक उन्नत कार का स्टीयरिंग का इस्तेमाल किया गया है. उन्होंने कहा, “FlowPilot वे सभी चीजें कर सकता है जो टेस्ला करता है, जिसमें एडेप्टिव क्रूज़ कंट्रोल (एसीसी) शामिल है जो कार की गति को नियंत्रित करता है और ट्रैफिक सिग्नल लाल होने पर रुकता है.”
नितिन गडकरी के बयान पर क्या बोले मनकरन
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के उस बयान के बारे में पूछे जाने पर कि सरकार भारत में सेल्फ-ड्राइविंग कारों की अनुमति नहीं देगी, मनकरन ने कहा कि इससे रिसर्चर्स का मनोबल गिरता है. अगर सेल्फ ड्राइविंग कार को मंजूरी भी दी जाती है तो इससे किसी की नौकरी खतरे में नहीं आएगी. इस तरह के बयान से सेल्फ ड्राइविंग कार को लेकर होने वाली संभावित फंडिंग और रिसर्च धीमा पड़ जाएगा.
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