वॉशिंगटन (washington) । एक वरिष्ठ अमेरिकी सांसद बेन कार्डिन (US MP Ben Cardin) की मंजूरी के बाद जो बाइडेन प्रशासन द्वारा एमक्यू-9बी सी गार्डियन ड्रोन (MQ-9B Sea Guardian Drone) की प्रस्तावित बिक्री के बारे में अमेरिकी कांग्रेस को औपचारिक रूप से अधिसूचित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ. सांसद ने कहा है कि उन्होंने बदले में प्रशासन से एक प्रतिबद्धता ली है कि भारत भाड़े के व्यक्ति द्वारा खालिस्तानी कार्यकर्ता (Khalistani activist) की हत्या के मामले की जांच में पूरा सहयोग करेगा.
कांग्रेस के माध्यम से समझौते के सुचारु रूप से पारित होने का रास्ता अब स्पष्ट है, जिसके पास या तो कुछ नहीं करने और प्रशासन को इसे अगले चरण में ले जाने देने के लिए 30 दिन का समय है. सीनेट और प्रतिनिधि सभा की समितियों पर अब डेमोक्रेट का नियंत्रण है और दूसरे पर रिपब्लिकन का.
बेन कार्डिन ने कहा कि बाइडन प्रशासन ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत अमेरिकी जमीन पर एक खालिस्तानी अलगाववादी की हत्या की कथित साजिश की जांच करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस आश्वासन के बाद विदेश संबंध मामलों की सीनेट की प्रभावशाली समिति के अध्यक्ष सीनेटर बेन कार्डिन ने सौदे को लेकर अपनी आपत्तियां वापस ले लीं.
डेमोक्रेटिक नेता कार्डिन ने एक बयान में कहा कि उन्होंने सौदे को तभी मंजूरी दी जब बाइडन प्रशासन ने उन्हें आश्वासन दिया कि भारत सरकार अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की नाकाम साजिश में भारत के कथित संबंधों की समग्र जांच करने के लिए और अमेरिकी न्याय विभाग की जांच में पूरा सहयोग करने के लिए प्रतिबद्ध है.
अमेरिका ने बृहस्पतिवार को 3.99 अरब अमेरिकी डॉलर की अनुमानित लागत पर भारत को 31 एमक्यू-9बी सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दे दी. इससे समुद्री मार्गों में मानवरहित निगरानी और टोही गश्त के जरिये वर्तमान और भविष्य के खतरों से निपटने के लिए भारत की क्षमता को बढ़ेगी. इस ड्रोन सौदे की घोषणा जून 2023 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ऐतिहासिक राजकीय यात्रा के दौरान की गई थी.
इसके बाद अमेरिकी न्याय विभाग ने नवंबर में एक अभियोग को खारिज कर दिया, जिसमें एक भारतीय व्यवसायी निखिल गुप्ता पर प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) प्रमुख गुरपतवंत सिंह पन्नून को मारने के लिए एक व्यक्ति – जो ड्रग्स प्रवर्तन एजेंसी का अधिकारी निकला – को काम पर रखने की कोशिश करने का आरोप लगाया गया था. सीनेट की विदेश संबंध समिति के अध्यक्ष बेन कार्डिन ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि वह भारत के सहयोग की इस प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए ‘महीनों’ से बाइडेन प्रशासन के साथ बातचीत कर रहे हैं.
भारत अपने सशस्त्र बलों की निगरानी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए, विशेष रूप से चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर, लंबे समय तक संचालिल होने वाले ड्रोन खरीद रहा है. तीन अरब अमेरिकी डॉलर के सौदे के तहत, भारत को 31 अत्याधुनिक ड्रोन (यूएवी) मिलेंगे. उनमें से 15 ‘सी-गार्जियन’ ड्रोन नौसेना को मिलेंगे, जबकि थलसेना और वायुसेना को आठ-आठ ‘स्काई-गार्डियन’ ड्रोन मिलेंगे. रक्षा क्षेत्र की प्रमुख अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स सिस्टम (जीए) से ड्रोन की खरीद होगी.
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