इंदौर। सरकारी मदद से पिछड़ी जाति के 68 बच्चों ने परचम लहराकर न केवल यह साबित कर दिया कि यदि मेहनत और मदद मिले तो वह भी उच्च पदों पर सेवाएं दे सकते हैं, बल्कि निचले तबके से आने के बावजूद हौसलों से उड़ान भरी जा सकती है। आदिम जाति कल्याण विभाग के अंतर्गत अनुसूचित जाति व जनजाति के 68 बच्चों ने एमपीपीएससी व प्रतियोगी परीक्षाओं में परचम लहराकर न केवल अपने हौसले साबित कर दिए, बल्कि यह भी जगजाहिर किया है कि थोड़ी सी मदद मिले तो हम भी किसी से कम नहीं हैं। 2022 से 24 तक के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो अब तक अनुसूचित जाति वर्ग के 52 बच्चों ने एमपीपीएससी की प्रारंभिक व मुख्य परीक्षा में सफलता हासिल की है। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग के 16 बच्चों ने परचम लहराया है।
विभाग ने सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत 2022-23 में 2 लाख रुपए तक की प्रोत्साहन राशि वितरित की है, वहीं 37 बच्चों को इस वित्तीय वर्ष में 6 लाख 65 हजार तक की सहायता दी जा चुकी है। अनुसूचित जाति वर्ग के 7 बच्चों को वर्ष 2022-23 में 1 लाख 40 हजार तक का प्रोत्साहन मिला है। वहीं 23-24 के वित्तीय वर्ष में 1 लाख 60 हजार तक का फंड उपलब्ध कराया गया है। ज्ञात हो कि सिविल सेवा प्रोत्साहन योजना के तहत हर वर्ष जो भी बच्चे परीक्षा में शामिल होते हैं, उन्हें न केवल मुफ्त में शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है, बल्कि प्रारंभिक परीक्षा पास होने पर 20 हजार व मुख्य परीक्षा पास होने पर 30 हजार रुपए प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाते हैं। 8 लाख तक की आय वाले परिवार के बच्चों को यह प्रोत्साहन हर वर्ष दिया जा रहा है। वहीं दूसरी बार चयनित होने पर भी क्रमश: 10 हजार एवं 15 हजार की सहायता दी जा रही है। वहीं मुख्य परीक्षा में चयनित होने पर 25 हजार रुपए दिए जाते हैं।
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