रांची (Ranchi)। साल 2000 में बिहार दो हिस्सों में बंट गया था. एक नया राज्य बना था झारखंड (Jharkhand). जहां पिछले 23 सालों में 11 मुख्यमंत्री बदल (11 Chief Minister changed) चुके हैं. कोई 10 दिन के लिए मुख्यमंत्री बना, कोई एक डेढ़ साल के लिए तो कोई दो साल के लिए. अब तक सिर्फ एक मुख्यमंत्री ने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया है।
दो दशकों से सियासी संकट से जूझ रहे झारखंड में अस्थिरता दिखाई दी. पिछले करीब 25 घंटे से झारखंड बिना सरकार का है. झारखंड में न तो कोई मुख्यमंत्री है न ही कार्यवाहक मुख्यमंत्री और इस सब के बीच सर्द रात में भी सियासत उबल रही है. हालांकि अब राज्यपाल ने चंपई सोरेन (Champai Soren) को सरकार बनाने का न्यौता दे दिया है।
सवाल कई लेकिन जवाब नहीं
पौने चार करोड़ की आबादी वाला 23 बरस का ये वो सूबा है जो फिर से घनघोर सियासी संकट से साक्षात्कार कर रहा था. जिसका मुख्यमंत्री इस्तीफा देकर जेल की चार दीवारी में बंद है. कोई कार्यवाहक मुख्यमंत्री भी नहीं था. जिसका नया सियासी नेतृत्व राज्यपाल की मर्जी पर टंगा हुआ था. जहां कोई सरकार अस्तित्व में नहीं थी. उस सत्ताहीन सूबे को लेकर लोगों के मन में ये सवाल है कि आखिर झारखंड इस वक्त किसके भरोसे था? वहां सरकार बनाने में देरी क्यों हुई? क्या चुनाव से पहले राष्ट्रपति शासन लगने वाला था?
राजनीतिक अस्थिरता की धुरी पर खड़े झारखंड को लेकर ये सवाल इसलिए भी था क्योंकि 24 घंटे के अंदर दूसरी बार राज्यपाल ने सरकार बनाने के अनुरोध को टाल दिया था. सरकार बनाने का प्रार्थना पत्र लेकर जेएमएम के नए-नवेले विधायक दल के नेता चंपई सोरेने अपने गठबंधन सहयोगी नेताओं के साथ महामहिम के दरबार में पहुंचे थे।
राज्यपाल से मुलाकात करने के लिए चंपई सोरेन ने बकायदा के चिट्ठी लिखी थी. समर्थक विधायकों का पूरा ब्योरा दिया था. उसके बाद मुलाकात के लिए शाम का समय तय हुआ. मगर राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने सरकार बनाने के अनुरोध को फिर से 2 फरवरी तक के लिए टाल दिया।
शिबू सोरेन के सबसे करीबियों में से एक चंपई सोरेन जब राज्यपाल से मिलने गए थे तो उनके साथ आलमगीर आलम, सत्यानंद भोक्ता, विनोद सिंह और प्रदीप यादव भी थे. बाकी उनके पास एक वीडियो था, जिसमें सभी 43 विधायक थे।
विधायकों को भेजा गया तेलंगाना
अचानक हृदय परिवर्तन की आशंका में इन सभी 40 विधायकों को कांग्रेस शासित राज्य तेलंगना भेजा गया है. बताया जा रहा है कि विधायकों को हैदराबाद के रिसॉर्ट में रखा जाएगा. महागठबंधन ने सिर्फ 40 विधायकों को हैदराबाद भेजा है, बाकी जो 3 विधायक रांची में ही रहेंगे. जिनमें JMM के विधायक दल के नेता चंपई सोरेन, कांग्रेस विधायक आलमगीर आलम और तकनीकि रूप से JVM लेकिन कांग्रेस में शामिल हो चुके विधायक प्रदीप यादव हैं।
चंपई सोरेन का दावा है कि उनके साथ 47 विधायक हैं. जबकि 43 विधायकों के हस्ताक्षर हैं. जिन चार विधायकों ने तमाम उलटफेर से दूरी बनाई है, उनमें हेमंत सरोने की भाभी सीता सोरेन, चमरा लिंडा और लोबिन हेंब्रम हैं. इसके अलावा रामदास सोरेन हैं।
बीजेपी ने क्या किया दावा?
हालांकि बीजेपी का दावा है कि ये टूट बड़ी है. बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे का दावा है कि सिर्फ 35 विधायक ही चंपई सोरेन के साथ हैं. वहीं, वीडियो में 43 विधायक साथ दिख रहे हैं. अब जरा झारखंड विधानसभा की स्थिति पर नजर डालते हैं।
झारखंड की विधानसभा की स्थिति
झारखंड विधानसभा में 81 सीटें हैं. इनमें से एक सीट खाली है. बाकी 80 सीटों में से सत्ता पक्ष के साथ 47 है. बीजेपी गठबंधन के पास 29 सीट है. दो निर्दलीय है जबकि NCP के एक सदस्य है. चंपई सोरेन का दावा है कि वो किसी भी कीमत पर बहुमत साबित कर लेंगे. फिलहाल विधायक छुट्टी मनाने जा रहे हैं।
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