नई दिल्ली (New Dehli)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman)ने लोकसभा में वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बजट पेश करते हुए कहा कि सरकार तेजी (government boom)से हो रही जनसंख्या वृद्धि एवं जनांकिकीय में बदलाव की चुनौतियों (challenges)पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करेगी। वित्त मंत्री ने कहा कि ‘विकसित भारत’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के संबंध में इन चुनौतियों पर समग्रता से काम करने के बारे में सिफारिशें देने के लिए यह समिति गठित की जाएगी। उन्होंने कहा कि मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य देखभाल संबंधी योजनाओं को एक समग्र कार्यक्रम के अंतर्गत लाया जाएगा ताकि इनके क्रियान्वयन में बेहतर तालमेल हो सके।
इसके अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ”सक्षम आंगनबाड़ी एवं पोषण-2.0 के तहत आंगनबाड़ी केंद्रों के उन्नयन के काम में तेजी लायी जाएगी ताकि पोषण आपूर्ति, शीघ्र शिशु देखभाल एवं विकास को बेहतर किया जा सके।”
2024 में भी जनगणना, एनपीआर की संभावना नहीं
केंद्र ने जनगणना सर्वे और सांख्यिकी के लिए बजट में 1,277.80 करोड़ रुपये आवंटित किए। यह रकम वित्त वर्ष 2021-22 के आवंटन की तुलना में काफी कम हैं। उस वक्त 3,768 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। इससे संकेत मिलता है कि तीन साल की देरी के बाद भी इस साल जनगणना कराए जाने की संभावना नहीं है। अधिकारियों के अनुसार, इस पूरी कवायद पर सरकार को 12 हजार करोड़ रुपये का खर्च उठाना पड़ सकता है।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की 24 दिसंबर, 2019 को हुई बैठक में 8,754.23 करोड़ रुपये की लागत से भारत की जनगणना-2021 करने और 3,941.35 करोड़ रुपये की लागत से राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) को अद्यतन करने के प्रस्ताव को स्वीकृत किया गया था। वर्ष 2020 में कोविड के कारण जनगणना में आवास की सूची बनाने का चरण और एनपीआर को स्थगित कर दिया गया। सरकार ने अभी तक जनगणना के नए कार्यक्रम की घोषणा नहीं की है। अधिकारियों ने कहा कि आम चुनाव इस साल होने वाले हैं, इसलिए 2024 में जनगणना होने की संभावना नहीं लगती।
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