नई दिल्ली (New Delhi)। लोकसभा चुनाव 2024 (lok sabha election 2024) से पहले पेश किया जाने वाला अंतरिम बजट (Interim budget.) यूं तो अगले चंद महीनों के लिए सरकारी और प्रशासनिक खर्च का बंदोबस्त होता है, लेकिन चुनाव से ठीक पहले आने वाले इस बजट से शेयर बाजार (Share Market) भी प्रभावित होता है। संसद में जैसे ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) बजट भाषण शुरू करेंगी, शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक सरकार की आर्थिक नीतियों (Economic policies) को लेकर कारोबारियों और बाजार का रिस्पॉन्स दिखाने लगता है। आंकड़े इस बात के गवाह हैं कि बजट के दिन शेयर बाजार निवेशकों को बहुत अधिक लाभ नहीं देता।
पीएम मोदी का पहला कार्यकाल; बजट के दिन बाजार का हाल
2019 जुलाई 1.1 फीसदी गिरावट निवेशकों के पैसे डूबे
2018 जुलाई 0.10 फीसदी गिरावट निवेशकों को मामूली नुकसान
2017 1.18 फीसदी तेजी नई ऊंचाइयों पर पहुंचने की शुरुआत
2015 बजट के दिन 0.6 फीसदी तेजी निवेशकों को बड़ा नुकसान नहीं
2014 बजट के दिन 3.4 प्रतिशत की तेजी शेयर बाजार में तेजी के कारण मुनाफा वसूली
बजट भाषण के दिन बाजार ने 10 में सात साल गोते लगाए
आंकड़ों पर गौर करें तो अंतरिम बजट पेश किए जाने के दिन नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी 50 में सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में पिछले 10 साल में सात बार गिरावट देखी गई। केवल साल 2014 और 2019 के अंतरिम बजट के दौरान निफ्टी ने गोते नहीं लगाए। आर्थिक मामलों पर नजर रखने वाले समीक्षकों का मानना है कि बजट पेश होने के आस-पास निफ्टी-50 काफी अस्थिर रहा। 2022 में 4.9 फीसदी मूवमेंट दर्ज किया गया। यानी तेज बढ़त के साथ 2022 में निफ्टी 4.7 फीसदी बढ़त के साथ बंद हुआ। 2020 में एक फरवरी के दिन निफ्टी में 3.3 फीसदी मूवमेंट दिखी। हालांकि, बाजार बंद होने के समय मुनाफावसूली जमकर हुई और निफ्टी 2.5 फीसदी गिरावट के साथ बंद हुआ।
पूंजीगत व्यय लक्ष्य, विनिवेश की योजनाएं, राजकोषीय घाटा, आवास और रेलवे जैसे प्रमुख आर्थिक विषयों पर नजरें होती हैं। इनके लिए बजटीय आवंटन और कर नीतियां – विशेष रूप से पूंजीगत लाभ कुछ प्रमुख कारण हैं जिनसे शेयर बाजार (बीएसई सेंसेक्स और निफ्टी-50) दोनों प्रभावित होते हैं। संसद में बजट पेश होने के बाद निफ्टी में सबसे अधिक उछाल 2021 में देखी गई थी। हालांकि, बीते दो साल में सूचकांक में गिरावट दर्ज की गई। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार पांचवीं बार बजट पेश करेंगी। यह भी दिलचस्प है कि विगत 10 साल के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में तीन वित्त मंत्रियों- अरुण जेटली, पीयूष गोयल और निर्मला सीतारमण ने बजट पेश किए। इससे पहले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार के अंतिम साल (2013-2014 में) तत्कालीन वित्त मंत्री पी चितंबरम ने बजट पेश किया था।
अंतरिम बजट में आम तौर पर किसी बड़ी नीतिगत घोषणा की उम्मीद नहीं होती। विशेषज्ञों को उम्मीद है कि मोदी सरकार आर्थिक अनुशासन बनाए रखते हुए राजकोषीय घाटे को कम करने का प्रयास करेगी। घाटा कम करने का लक्ष्य हासिल करने के लिए सरकार बुनियादी ढांचे और रक्षा जैसे क्षेत्रों में अधिक फंड का आवंटन करेगी। बाजार में गिरावट का मुख्य कारण निवेशकों के बीच निराशा को माना जाता है। बीते एक दशक में बाजार ने कई बार कीर्तिमान बनाए, लेकिन कई बार सरकार की आर्थिक नीतियों को अस्पष्ट मानते हुए निवेशकों ने बाजार से पैसे निकालने का भी फैसला लिया। भारी मुनाफावसूली के कारण बाजार में बड़ी गिरावट भी दर्ज की गई।
कब-कब और कितना बढ़ा शेयर बाजार?
2024 के अप्रैल-मई में आम चुनाव कराए जाने हैं। जनता टैक्स के मोर्चे पर अधिक राहत की आस लगाए बैठी है। हालांकि, कॉरपोरेट घरानों को उम्मीद है कि 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी का लक्ष्य हासिल करने के लिए वित्त मंत्रालय अपने प्रयास जारी रखेगा। भारत में शेयर बाजार से जुड़ी गतिविधियां लगातार बढ़ रही हैं। ऐसे में आर्थिक नीतियों और बाजार से जुड़े लोगों को आशा है कि इस बार वित्त मंत्री की घोषणाओं के कारण बाजार सकारात्मक रूख दिखाएगा। मोदी सरकार के कार्यकाल में केवल साल 2016 में सेंसेक्स का संवेदी सूचकांक 30 हजार से नीचे आया। 2017 के बाद हर साल बाजार में तेजी देखी गई। बीते सात साल में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 34,137 से 63,588 तक का सफर तय कर चुका है। उछाल लगभग दोगुनी हो चुकी है। दिसंबर 2023 में बाजार ने ऑल टाइम हाई यानी 70,146 का आंकड़ा भी छू लिया। कई बार रिकॉर्ड उछाल के कारण सूचकांक इससे भी आगे चला गया।
2014 में पहली बार पीएम मोदी की सरकार ने आम बजट पेश किया। तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 10 जुलाई को अपना पहला केंद्रीय बजट पेश किया। बजट के दिन निफ्टी में बिकवाली देखी गई। प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में पेश 9 बजट और शेयर बाजार से जुड़ा एक अहम तथ्य यह भी है कि 2017 के बाद सेंसेक्स कभी 30 हजार के नीचे नहीं (पूरे साल का औसत) आया। पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनने की राह पर बढ़ रहे देश की आर्थिक सेहत को दिखाने वाले शेयर बाजार का सूचकांक बीचे करीब सात साल में 71 हजार से भी आगे पहुंच चुका है।
बजट 2015
फरवरी, 2015 में अरुण जेटली ने दूसरी बार बजट पेश किया। इस साल बाजार बजट को लेकर सकारात्मक दिखा। 0.7 फीसदी बढ़त के साथ सेंसेक्स बंद हुआ। बजट पेश होने के बाद निफ्टी में बिकवाली दिखी। एक महीने में लगभग 4.6 फीसदी गिरावट दर्ज की गई।
बजट 2016
मोदी सरकार के कार्यकाल में लगातार तीसरे साल आया बजट बाजार की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा। बजट के दिन बाजार 0.6 फीसदी की मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ। निफ्टी में 10 फीसदी से अधिक मजबूत रैली देखी गई। जो 2011 के बाद सबसे अधिक थी।
बजट 2017
यह बजट कई मायनों में ऐतिहासिक रहा। सरकार ने अलग से रेलवे बजट पेश करने की परंपरा खत्म कर दी। केंद्रीय बजट इस साल से एक फरवरी को पेश होने लगा। इस साल बाजार में काफी उत्साह देखा गया। 1.8 फीसदी की बढ़त, वित्त मंत्री के बजट भाषण के दिन 2011-2020 के बीच सबसे बड़ी उछाल रही।
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