इंदौर। एक तरफ गृह निर्माण संस्थाओं के पीडि़तों की संख्या हजारों में है, तो दूसरी तरफ साख व अन्य संस्थाओं के पीडि़त भी कम नहीं हैं। इनमें एक सहकारी समर्थ मंडल भी शामिल है, जिसमें 15 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ और 7 हजार सदस्यों को अपनी जमा पूंजी हासिल करने के लिए अब संघर्ष करना पड़ रहा है। संचालक मंडल ने मनमाने तरीके से ना सिर्फ लोन बांटे, बल्कि एक अवैध बिल्डिंग का निर्माण करने के अलावा एक और ठगोरी संस्था गुजरात मर्केंटाइल में भी 76 लाख रुपए से अधिक की राशि अवैध रूप से जमा करवा दी, जो कि डूब गई। इस पूरे घोटाले पर सहकारिता विभाग सोया पड़ा है।
इस संस्था से जुड़े और संघर्ष समिति के संजय धामोरे, सुनील वालेकर, किशोर दाहिगुड़े ने बताया कि पिछले दिनों इंदौर हाईकोर्ट ने भी संस्था संचालकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के निर्देश दिए और सहकारिता आयुक्त नेभी पत्र जारी कर इंदौर दफ्तर को कार्रवाई के लिए कहा। लेकिन सहकारिता विभाग सोया पड़ा है और 6 माह पश्चात भी कोई कार्रवाई नहीं कर पाया है, जो कि हाईकोर्ट की भी अवमानना है, जिसके चलते अब पीडि़तों द्वारा सहकारिता विभाग के खिलाफ अवमानना याचिका भी दायर की जा रही है।
15 करोड़ से अधिक का घोटाला इन पीडि़तों ने ही दस्तावेजों को एकत्रित कर जांच के लिए सौंपा है, जिसमें म्यूचुअल फंड में भी 4 करोड़ 29 लाख रुपए की राशि फंसा दी गई, तो इसी तरह गुजरात मर्केंटाइल क्रेडिट को-ऑपरेटिव में 2017 में लाखों रुपए की राशि जमा करवाई गई, जो ब्याज सहित गत वर्ष तक ही 6 करोड़ से अधिक की हो चुकी है। इसी तरह एक अन्य सहकारी बैंक मित्रमंडल में भी 2017 में संचालकों ने 153 लाख रुपए जमा करवाए और अब यह भी ब्याज सहित 301.93 लाख गत वर्ष तक ही हो चुके थे। इतना ही नहीं, भृत्य से लेकर चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों को भी लाखों रुपए की राशि अग्रिम बतौर दे दी गई और एक शिव विलास पैलेस के पास बिल्डिंग का भी अवैध निर्माण करवाया, जिसमें लाखों रुपए की राशि सदस्यों की खर्च कर डाली। नकद राशि भुगतान के आयकर नियमों में ही कोई प्रावधान नहीं हैं और 20 हजार से अधिक की राशि का भुगतान चेक से ही किया जाना चाहिए, लेकिन संचालक मंडल ने लाखों रुपए का लेन-देन केश में ही कर डाला।
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