नई दिल्ली: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सतनाम सिंह संधू (Satnam Singh Sandhu) को संसद (Parliament) के उच्च सदन राज्यसभा (upper house rajya sabha)के लिए मनोनीत (nominated) किया है. संधू का नाम देश के प्रमुख शिक्षाविदों में शामिल है. वह चंडीगढ़ विश्वविद्यालय के संस्थापक और कुलपति हैं. उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और पीएम मोदी ने उन्हें मनोनीत होने पर बधाई दी है. बधाई देते हुए पीएम ने कहा कि संधू एक प्रख्यात शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता हैं. पीएम ने यह भी कहा कि राज्यसभा की कार्यवाही उनके विचारों से समृद्ध होगी. आइए जानते हैं कि सतनाम सिंह संधू कौन हैं और उन्होंने कहा तक पढ़ाई की है.
सतनाम सिंह संधू भारत के प्रमुख शिक्षाविदों में से एक हैं. वह पंजाब के एक किसान के बेटे हैं. सतनाम सिंह संधू ने 2001 में मोहाली के लांडरां में चंडीगढ़ ग्रुप ऑफ कॉलेजेज (सीजीसी) की स्थापना की. 2012 में उन्होंने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय की स्थापना की. उनका प्रारंभिक जीवन कठिनाइयों से भरा था. उन्होंने अपनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए बहुत संघर्ष किया.
वह अक्सर छात्रों की आर्थिक मदद भी करते रहते हैं. वह लोगों के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के सामुदायिक प्रयासों में सक्रिय रूप से शामिल हैं. वह देश में सांप्रदायिक सद्भाव को आगे बढ़ाने के लिए दो गैर सरकारी संगठन – इंडियन माइनॉरिटीज फाउंडेशन और न्यू इंडिया डेवलपमेंट (एनआईडी) फाउंडेशन भी चलाते हैं. चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग 2023 में एक उल्लेखनीय स्थान हासिल किया, जो निजी विश्वविद्यालयों में एशिया में पहले स्थान पर रहा.
कहां तक की है पढ़ाई?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उन्होंने बताया कि पढ़ाई जर्जर सरकारी स्कूल में हुई. टीचर पेड़ों के नीचे पढ़ाते थे. छात्र बैठने के लिए घर के टाट-पट्टियां लेकर आते थे. उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है. वह मालवा के ग्रामीण इलाके से आते हैं. दिसंबर 2000 में उन्होंने बैंक से 95 लाख रुपए का लोन लिया और काॅलेज खोला. इसके बाद 2012 में उन्होंने चंडीगढ़ विश्वविद्यालय की स्थापना की. एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि उनके पिता और दादा उन्हें अखबार में संपादकीय पढ़ने के लिए कहते थे. यहीं से उनके अंदर शिक्षा सुधार को लेकर इच्छा लगी और फिर इसी काम में लग गए .
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