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    MP: बहुचर्चित सहकारिता बैंक घोटाले में एक और FIR दर्ज, EOW को सौंपी गई जांच, जानें पूरा मामला

  • January 30, 2024

    रीवा। रीवा सीआईडी विभाग में पदस्थ डीएसपी असलम खान ने बताया कि सेंड्रीज घोटाले के मुख्य आरोपी ने 2013 में रामकृष्ण मिश्रा ने अपने साले अशोक मिश्रा के नाम कृषि जमीन बंधक रखकर रजिस्ट्री कराई थी। रजिस्ट्री होने पर कूट रचित दस्तावेज लगा कर रामकृष्ण मिश्रा ने यूबीआई बैंक अतरैला से 14 लाख रूपये निकाल लिये। उसी जमीन के दस्तावेज में उलटफेर कर पंजाब नेशनल बैंक सिरमौर और HDFC बैंक रीवा से रामकृष्ण के ससुराल वालों ने पैसे निकाले।

    CID मुख्यालय भोपाल में दर्ज हुआ प्रकरण
    सीआईडी डीएसपी असलम खान ने बताया की सीआईडी मुख्यालय भोपाल में 20 जनवरी को सेंड्रीज मामले पर एक नया मुकदमा कायम किया गया है। यह मामला सेंड्रीज घोटाला सहकारी बैंक क्राइम नंबर 12/15 से ही उपजा है, उसमें आए तथ्यों के आधार पर ही सीआईडी ने नया मुकदमा पंजिबद्ध किया है, जिसका अपराध क्रमांक 1/24 है। जिसमें धारा 420, 409, 467, 468, 471, 474, 120 बी व 34 के तहत अपराध पंजीबद्ध करवाया है।

    तत्कालीन मैनेजर रामकृष्ण मिश्रा ने किया था जमीन पर खेल
    सीआईडी डीएसपी ने बताया की इस घोटाले में अपराधिक आचरण इस बात का है कि सेंड्रीज घोटाले का मुख्य मास्टरमाइंड डभौरा सहकारीता बैंक के तत्कालीन ब्रांच मैनेजर व कैशियर रामकृष्ण मिश्रा वर्ष 2013 के दौरान यूबीआई बैंक अतरैला में अपनी कृषि भूमि को बंधक रखकर 14 लाख रूपए का लोन लिया था, जो 10 नफर भूमिया थी। वह मुख्य आरोपी रामकृष्णन के ससुराल स्थित क्षेत्र की थीं और इन भूमियों को रामकृष्णन ने गबन के पैसों से खरीदी थी। यह भूमि रामकृष्ण मिश्रा की सास प्रभादेवी, साला अशोक कुमार मिश्रा समेत ससुराल पक्ष के ही सदस्यों ने बेची थी।

    कई लोगों के नाम से हुई जमीन की रजिस्ट्री
    जमीन बिक्री की बकायदा तीन रजिस्ट्री हुई थी और इन्हीं रजिस्ट्री के अधार पर राजस्व विभाग में अतरैला वृत्त में नामांतरण हुआ था। नामांतरण होने के बाद खसरा ऋण पुस्तिका सारे रिकॉर्ड यूबीआई अतरैला में रखा गया था। वकील के जरिए जैसी विधि होती है उसका टाइटल रिपोर्ट जारी किया गया। इसके बाद रामकृष्ण मिश्रा वर्ष 2015 नवंबर माह के दौरान सेंड्रीज घोटाले के मामले में जेल चला गए। सीआईडी के द्वारा जमीनों में हुइ हेराफेरी की जांच कर कार्रवाई की गई। उसी दौरान राजस्व के रिकार्ड में हेर फेर की गई और आरोपी रामाकृष्ण का नाम गायब कर दिया गया था। आरोपी का नाम गायब होने के बाद यही जमीन उन्ही क्रेताओं के नाम पर आ गई।


    जमीन को बैंकों में गिरवी रखकर लिया गया लोन
    सीआईडी डीएसपी असलम खान ने बताया कि इसके बाद रामकृष्ण के ससुराल वाले जिसमें उसके साले अशोक मिश्रा और उसकी पत्नी ममता देवी और उसकी सास सहित अन्य लोगों ने मिलकर जमीन अपने नाम एक बार फिर PNB बैंक सिरमौर में बाधक रखा जबकि उसका मालिक रामकृष्ण था फिर पुराने क्रेताओं ने UBI और PNB बैंक सिरमौर में जमीन बंधक रखी और लोन का लाभ लिया।

    बार बार हुईं जमीन के नाम पर हेरा फेरी और दस्तवेजो के साथ छेड़छाड़
    इसके बाद एक बार इन्हीं लोगों ने उसी जमीन को सविता देवी प्रजापति को बेच दी। उसके बाद एक बार फिर नामांतरण में हेरा फेरी करके HDFC रीवा में बंधक रखा और लोन की राशि प्राप्त की। इसमें मुख्य आरोपी रामकृष्ण मिश्रा का साला अशोक मिश्रा और पत्नि ममता मिश्रा दोनों ही HDFC बैंक में ऋणी बने और 18 से 20 लाख रुपये प्राप्त किए। जबकि वास्तविक भूमि स्वामी रामकृष्णन मिश्रा हो चुका था। नामांतरण और राजस्व रिकार्ड में हेरा फेरी करके खसरा नकल निकाल करके सविता देवी, विजय मिश्रा और अनंदिता मिश्रा जो की एक रिटायर्ड फौजी के बेटे और बहू हैं, उन्हें यह जमीन बेची गई जोकि उन्हें बेचने का अधिकार नहीं था।

    हाल में नकली नोटों के साथ गिरफ्तार हुआ था अशोक मिश्रा
    DSP असलम खान ने बताया की इसमें मुख्य आरोपी रामकृष्ण मिश्रा और उसके साले अशोक मिश्रा की पाई गई है, मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जा रही है। आरोपी अशोक मिश्रा हाल में नकली नोटों के साथ बैकुंठपुर मे गिरफ्तार हुआ था और कुछ दिनों पूर्व ही जमानत लेकर जेल से रिहा हुआ है। अशोक मिश्रा शातिर दिमाग का व्यक्ति है।

    मामले पर जांच जारी CID ने EOW को सौंपी रिपोर्ट
    फिलहाल मामले पर जांच अभी भी जारी है। CID की टीम मामले पर परत दर परत खोलते हुए एक मुख्य सेंड्रीज घोटाले में से अन्य 9 घोटालों को उजागर किया। सीआईडी ने मुख्य आरोपी रामकृष्ण मिश्रा समेत उसके ससुराल पक्ष से ससुर मेदनी प्रसाद, सास प्रभादेवी, साला अशोक मिश्रा और उसकी पत्नी ममता देवी के साथ ही अधिवक्ता शिवशंकर, नरेश कुमार सोनी एंव पीएनबी के टाइटल रिर्पोट देने वाले अधिवक्ता एवं गारंटर विजय कुमार दुबे तथा जवा तहसील के अतरैला नायब तहसील कार्यालय के तत्कालीन राजस्व अमले के विरूद्ध CID मुख्यालय भोपाल में 20 जनवरी 2024 को नया अपराध पंजीबद्ध किया है और इसकी रिपोर्ट ईओडब्ल्यू को सौंपी है।

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