नई दिल्ली (New Delhi) । लोकसभा चुनाव-2024 (Lok Sabha Elections-2024) की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. सत्तारूढ़ दल के साथ ही विपक्षी पार्टियां (opposition parties) भी अपने-अपने स्तर पर रणनीतियां बनाने में जुट गई हैं. चुनाव (Election) से पहले विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कवायद के तहत I.N.D.I.A. का गठन किया गया. इससे पहले कि I.N.D.I. गठबंधन उड़ान भर पाता, उसकी हवा निकाल दी गई. बड़ा सवाल यह उठता है कि विपक्षी दलों का गठजोड़ चुनाव से पहले ही क्यों धराशायी होता दिख रहा है?
I.N.D.I.A. के गठन में महती भूमिका निभाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब विपक्षी धड़े को छोड़कर NDA में शामिल हो चुके हैं. I.N.D.I. गठबंधन के लिए इसे बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि विपक्षी दलों को एकजुट कर उसे एक मंच पर लाने में नीतीश कुमार ने शिल्पकार की भूमिका निभाई थी. अब उनका एनडीए के खेमे में चले जाने के कारण I.N.D.I. के अस्तित्व और औचित्य को लेकर सवाल उठने लगे हैं.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी I.N.D.I. गठबंधन को करारा झटका दिया है. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस इस साल होने वाले लोकसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरेगी. बता दें कि I.N.D.I. गठजोड़ में कांग्रेस और वाम दल भी शामिल हैं. ममता बनर्जी के स्टैंड के बाद बड़ा सवाल यह उठने लगा कि पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और वाम दल क्या करेंगे? बंगाल में लोकसभा की 42 सीटें हैं.
आम आदमी पार्टी (AAP) ने भी I.N.D.I. गठबंधन की गाड़ी को पंक्चर करने का काम किया है. पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पंजाब में AAP अपने दम पर चुनाव लड़ेगी, ऐसे में पंजाब में I.N.D.I. को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी I.N.D.I. गठबंधन को झटका देने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. अखिलेश ने पिछले दिनों यह घोषणा कर दी कि वह उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को 11 सीटें देने को तैयार है. दूसरी तरफ, देश की सबसे पुरानी पार्टी सबसे ज्यादा लोकसभा सीट वाले प्रदेश में ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीद लगा रखी थी. सपा के रवैये से मनमुटाव की स्थिति पैदा हो गई है.
I.N.D.I. गठबंधन में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है. विपक्षी गठजोड़ में कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है जो सही मायने में राष्ट्रीय है. I.N.D.I. में शामिल दल का अस्तित्व एक प्रदेश के बाद दूसरे में कहीं नहीं दिखता है, लेकिन कांग्रेस की मौजूदगी कई प्रदेशों में है. इसे देखते हुए गठबंधन में शामिल दल कांग्रेस पर सीट बंटवारे को लेकर लगातार दबाव बना रहे थे. इसके बावजूद कांग्रेस की ओर से कोई सकारात्मक रुख नहीं दिखाया जा रहा है. अब I.N.D.I. में बिखराव देखने को मिल रहा है.
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