वाशिंगटन (Washington)। इंसान चांद पर बसने के सपने देख रहा है. चांद को इंसानों के लिए भविष्य (Future) का ठिकाना माना जा रहा है. वैज्ञानिक (Scientist) इस बात की संभावना तलाश रहे हैं कि भविष्य में जब पृथ्वी में जलवायु परिवर्तन के कारण जीवन मुश्किल हो जाएगा, तब मानव जाति चांद पर कॉलोनी बसाकर रह सकती है. लेकिन नई साइंटिफिक रिपोर्ट्स से ये पता चला है कि इस फ्यूचर प्लान में संकट आ सकता है. नए शोध से संकेत मिलता है कि पृथ्वी का खगोलीय साथी, चंद्रमा, कई परिवर्तनों से गुजर रहा है. पिछले कुछ सौ मिलियन वर्षों में इसके आकार में महत्वपूर्ण कमी आई है.
दरअसल 25 जनवरी को प्लैनेटरी साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चलता है कि चंद्रमा अपने कोर के धीरे-धीरे ठंडा होने के कारण परिधि में 150 फीट से अधिक सिकुड़ गया है. नासा, स्मिथसोनियन, एरिज़ोना स्टेट यूनिवर्सिटी और मैरीलैंड विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में सहयोगात्मक प्रयास से ऐसे सबूत मिले हैं, जो बताते हैं कि इस चल रहे चंद्र संकुचन के कारण चांद के दक्षिणी ध्रुव के आसपास के इलाके में उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं.
रिसर्च में पता चला है कि दक्षिण-ध्रुवीय क्षेत्र में चंद्र दोषों के एक समूह को 50 साल से अधिक पहले अपोलो सिस्मोमीटर द्वारा दर्ज किए गए एक शक्तिशाली चंद्रमा भूकंप से जोड़ते हैं. सतह की स्थिरता का अनुकरण करने के लिए कंप्यूटर मॉडल का उपयोग किया गया, जिससे भूकंपीय गतिविधि के कारण चंद्र भूस्खलन के प्रति संवेदनशील कुछ क्षेत्रों का पता चला. फिजिक्स ऑर्गनाइजेशन ने नेशनल एयर एंड स्पेस म्यूजियम में एक अध्ययन के सह-लेखक और वरिष्ठ वैज्ञानिक एमेरिटस थॉमस आर वॉटर्स को कोट करते हुए चेतावनी दी कि, “चंद्रमा पर स्थायी आउटपोस्ट के स्थान और स्थिरता की योजना बनाते समय यंग थ्रस्ट फॉल्ट के वैश्विक वितरण, उनके सक्रिय होने की क्षमता, और चल रहे वैश्विक संकुचन से नए थ्रस्ट फॉल्ट पर विचार किया जाना चाहिए.
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