नई दिल्ली: कहते हैं केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश और बिहार से होकर गुजरता है. लोकसभा चुनाव की हलचल के बीच पिछले कुछ दिनों से बिहार की सियासत में उधल पुथल मची हुई है. खबर है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार महागठबंधन से नाता तोड़कर एक बार फिर से एनडीए का रुख कर सकते हैं. महागठबंधन में अनदेखी और अपने सियासी फायदे को देखते हुए नीतीश फिर से पाला बदलने की तैयारी में हैं. इसको लेकर दिल्ली और बिहार में बैठकों का दौर जारी है.
इस बीच एलजेपी (रामविलास) सांसद चिराग पासवान ने दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. 27 जनवरी की सुबह चिराग केंद्रीय गृह मंत्री के घर पहुंचे. जहां उन्होंने तमाम मुद्दों पर बात की. पत्रकारों से बात करते हुए सांसद ने बताया कि गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष से मुलाकात के दौरान उन्होंने अपनी पार्टी जनशक्ति पार्टी रामविलास के बारे में बात की. सीटों के बंटवारे समेत कई अहम मुद्दों पर विस्तार से बात हुई.
बिहार की सियासी हलचल पर उन्होंने कहा कि बिहार के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर हमारी नजर बनी हुई है. मीडिया के जरिए कई तरह की संभावनाएं सामने आती हैं, लेकिन सच्चाई क्या है ये जानना जरूरी है. नीतीश के बारे में उन्होंने कहा कि जब तक कोई आधिकारिक पुष्टी नहीं हो जाती तब तक इस बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अभी भी महागठबंधन का ही हिस्सा हैं.
दरअसल चिराग पासवान को नीतीश कुमार का कट्टर विरोधी माना जाता है. कई मौकों पर उन्होंने नीतीश के खिलाफ आवाज उठाई है और उनके खिलाफ बयानबाजी भी करते आए हैं. चिराग पहले से ही एनडीए हिस्सा का हिस्सा हैं, और उनकी पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी भी कर रही है. इसके लिए पार्टी ने अपनी सीटें भी तय कर ली हैं. ऐसे में अगर बिहार के मंझे हुए राजनीतिक खिलाड़ी एनडीए में शामिल होते हैं तो कहीं न कहीं इसका असर चिराग की पार्टी पर जरूर पड़ेगा.
दरअसल चिराग और उनके चाचा पशुपति पारस के बीच संबंध ठीक नहीं है, ये बात जगजाहिर हैं. दोनों ही नेता हाजीपुर सीट को लेकर लेकर अपना अपना दावा कर रहे हैं. वहीं नीतीश कुमार की पसंद पशुपति पारस है. एलजेपी के दो धड़ों में बंटवारे के पीछे नीतीश का ही हाथ माना जाता है. ऐसे में नीतीश का एनडीए के साथ आना चिराग के लिए किसी झटके से कम नहीं होगा. नीतीश नहीं चाहेंगे कि एनडीए में चिराग को ज्यादा स्पेस मिले. इसके साथ ही वो चिराग के मुकाबले पशुपति पारस को ज्यादा तवज्जों देंगे. जाहिर है इससे कहीं न कहीं चिराह की परेशानी बढ़ सकती है.
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