नई दिल्ली (New Delhi)। राष्ट्र के लोग इस बार 75वां गणतंत्र दिवस (75th republic day) मना रहे हैं। 26 जनवरी 2024 के पर्व को लेकर देशभर के स्कूल-कॉलेजों और सरकारी संस्थानों (Schools-Colleges and Government Institutions) में तैयारी जोरों पर चल रही है। कोई इस कार्यक्रम के लिए भाषण की तैयारी कर रहा है तो कोई इसके लिए सबसे अच्छी ड्रेस (best dress) तैयार करा रहा है। लेकिन बहुत से लोगों के मन में यह सवाल भी होगा कि जब हमारा संविधान (Constitution ) 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा (Constituent Assembly on 26 November 1949) से पारित होने के बाद आत्मार्पित कर लिया गया तो गणतंत्र दिवस (republic day) 26 जनवरी के दिन ही क्यों मनाते हैं?
इसके पीछे कांग्रेस का 1929 का लाहौर अधिवेशन। दिसंबर 1929 के लाहौर अधिवेशन के अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरू थे। पंडित जवाहरलाल नेहरूर के नेतृत्व में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 19 दिसंबर 1929 को पूर्ण स्वराज की घोषणा की। इसके साथ ही अंग्रेजों के खिलाफ खुला विद्रोह करने के साथ ही कांग्रेस ने 26 जनवरी 1930 को पूरे देश में पहला स्वतंत्रता दिवस मनाने का ऐलान किया। बताते हैं कि 26 जनवरी 1930 को देशभर में जगह-जगह सभाएं आयोजित की गईं और लोगों ने स्वतंत्रता प्राप्ति की शपथ ली। यही कारण हैं कि स्वतंत्रता 15 अगस्त को मिलने के बाद संविधान सभा के नेताओं ने इसे 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू करने और इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया था।
भारतीय संविधान के निर्माण से जुड़ी खास बातें :
– भारत में संविधान सभा के गठन का विचार पहली बार 1934 में एमएन रॉय ने रखा।
– 1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार संविधान निर्माण के लिए संविधान सभा के गठन की मांग रखी।
– 1940 में ब्रिटिश सरकार ने संविधान सभा के गठन की मांग को स्वीकार किया जिसे 1940 के ‘अगस्त प्रस्ताव’ के नाम से जानते हैं।
– संविधान निर्माण के लिए 8 बड़ी समितियां व अन्य कई समितियों का गठन किया गया।
– सविधान निर्माण के लिए बनी समसे महत्वपूर्ण समिति ‘प्रारूप समिति’ थी जिसके अध्यक्ष डॉ. बी.आर. अंबेडकर थे।
– प्रारूप समिति का गठन 29 अगस्त 1947 को हुआ था।
– संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई।
– संविधान सभा की पहली बैठक में डॉ सच्चिदानंद सिन्हा को अस्थाई सभापति चुना गया।
– 11 दिसंबर 1946 को डॉ राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का स्थाई सदस्य चुना गया।
– 25 जनवरी 1947 को एचसी मुखर्जी को संविधान सभा का उपाध्यक्ष चुना गया।
– 13 दिसंबर 1946 को पंडित नेहरू ने ऐतिहासिक ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ पेश किया जिसके परिवर्तित रूप को ही संविधान की प्रस्तावना माना गया।
– 26 नवंबर 1949 तक सभा ने विधायिका और संविधान सभा दोनों का कार्य करती रही। विधायिका की बैठक में सभा की अध्यक्षता जीवी मावलंकर करते थे।
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