इस्लामाबाद (Islamabad)। पाकिस्तान सरकार (Pakistan Government) ने मंगलवार को औपचारिक रूप से 8 फरवरी के चुनावों (February 8 elections) के दौरान सुरक्षा प्रदान करने के लिए नियमित सेना के जवानों को तैनात (Deployed regular army personnel.) करने का निर्णय लिया। सेना तैनात करने का फैसला कार्यवाहक प्रधानमंत्री अनवारुल हक काकर (Acting Prime Minister Anwarul Haq Kakar) की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में लिया गया।
सैनिकों की तैनाती के लिए सारांश आंतरिक मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत किया गया था। कैबिनेट बैठक के अंत में जारी एक आधिकारिक बयान के अनुसार, संघीय कैबिनेट ने आंतरिक मंत्रालय की सिफारिश पर आम चुनावों के शांतिपूर्ण संचालन के लिए पाकिस्तानी सेना और नागरिक सशस्त्र बल के जवानों की तैनाती को मंजूरी दे दी।
126 मिलियन से अधिक मतदाताओं ने डाला था अपना वोट
मंत्रालय के अनुसार, ‘ये बल संवेदनशील निर्वाचन क्षेत्रों और मतदान केंद्रों पर ड्यूटी करेंगे और त्वरित प्रतिक्रिया बल के रूप में भी काम करेंगे।’ यह निर्णय पाकिस्तान चुनाव आयोग (ईसीपी) द्वारा 8 फरवरी को देशभर में सुरक्षा और कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए 277,000 सैन्य कर्मियों को तैनात करने की मांग के बाद आया है, जब 126 मिलियन से अधिक पाकिस्तानी मतदाताओं ने अपना वोट डाला था।
सेना पहले से ही है तैयार
सशस्त्र बलों को नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सुरक्षा या सरकार द्वारा आवश्यक कोई अन्य सेवाएं प्रदान करने के लिए संविधान के तहत तैनात किया जाता है, जो कैबिनेट द्वारा अनुमोदन के माध्यम से ऐसी किसी भी तैनाती को अधिकृत करती है। सेना ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह चुनावी प्रक्रिया को अंजाम देने के लिए किसी भी तरह की मदद देने को तैयार है, क्योंकि देश उग्रवाद के बढ़ते खतरे का सामना कर रहा है।
वर्ष 2023 आतंक संबंधी घटनाओं के कारण 2015 के बाद से सबसे खराब वर्षों में से एक था। इस महीने की शुरुआत में, खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा के पीके-104 के लिए चुनाव लड़ना चाह रहे एक स्वतंत्र उम्मीदवार, कलीमुल्ला खान अशांत उत्तरी वजीरिस्तान जिले में गोली मारकर हत्या कर दी गई। इसके अलावा, उसी समय स्वाबी में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के नेता शाह खालिद की भी मौत हो गई, जब मोटरसाइकिल पर सवार अज्ञात हमलावरों ने उनकी कार पर गोलीबारी की।
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