भोपाल। विधानसभा चुनाव (assembly elections) में मिली सफलता के बाद भाजपा लोकसभा चुनाव 2024 (lok sabha election 2024) की रणनीति बनाने में जुट गई है। प्रदेश की 29 में से सात उन सीटों पर बदलाव तय माना जा रहा है, जहां के सांसद विधानसभा चुनाव में उतरे थे। इसके अलावा भोपाल, विदिशा, ग्वालियर और सागर (Bhopal, Vidisha, Gwalior and Sagar) सहित 8 से 9 सीटें ऐसी हैं, जहां पार्टी इस बार नए चेहरों पर दांव खेल सकती है। जानकारी के अनुसार, आरएसएस और सत्ता-संगठन ने भी अपने स्तर पर संसदीय क्षेत्रों का फीडबैक लिया है। दिल्ली-भोपाल की बैठकों में हाईकमान ने नई रणनीति के साथ चुनाव मैदान में उतरने का प्लान तैयार कर लिया है।
विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा हाईकमान ने सात सांसदों को चुनाव में उतारा था। इनमें से मंडला से सांसद और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते और सतना से सांसद गणेश सिंह चुनाव नहीं जीत पाए थे। अभी ये दोनों नेता सांसद बने हुए हैं। लेकिन आगामी चुनाव को देखते हुए इन दोनों के टिकट पर संशय बना हुआ है। इनके अलावा विधायक चुने गए पांच सांसद नरेंद्र सिंह तोमर मुरैना से, प्रहलाद सिंह पटेल दमोह से, रीती पाठक सीधी से, राकेश सिंह जबलपुर से और उदय प्रताप सिंह होशंगाबाद लोकसभा सीट खाली कर चुके हैं। इन सीटों पर भाजपा नए चेहरों को उतारने की कवायद शुरू कर चुकी है।
सूत्रों ने बताया कि संगठन ने मैदानी फीडबैक और विधानसभा चुनाव के नतीजों के आधार पर जिन सीटों पर विकल्प तलाशने के संकेत दिए हैं, इनमें खरगोन, ग्वालियर, भिंड और धार सीट शामिल है। इन क्षेत्रों में वोट प्रतिशत बढ़ाने के उपाय करने के लिए भी कहा गया है। इनके अलावा भोपाल, विदिशा, सागर, शहडोल, मंदसौर, रीवा और राजगढ़ सीट पर भी पार्टी नए चेहरों पर दांव खेल सकती है। मध्यप्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा का कहना है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। वोट शेयर बढ़ाने से लेकर संगठन के कई कार्यक्रम सौंपे गए हैं। प्रत्याशी चयन अलग प्रक्रिया है। इन संबंध में केंद्रीय हाईकमान ही अंतिम निर्णय करेगा।
भाजपा हाईकमान मध्यप्रदेश सहित छत्तीसगढ़ और राजस्थन में सीएम और मंत्रियों के रूप में नए नेताओं का चयन कर पीढ़ी परिवर्तन का संकेत दे चुका है। तीनों राज्यों में इस बदलाव को भविष्य की भाजपा की तस्वीर के बतौर देखा जा रहा है। लोकसभा चुनाव की व्यापक रणनीति को लेकर केंद्रीय नेतृत्व ने बूथ स्तर तक के कार्यक्रम सौंप दिए हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि दो अथवा अधिक बार लोकसभा चुनाव लड़ चुके नेताओं को ऐसी स्थिति में ही रिपीट किया जाएगा, जब सामाजिक और सियासी समीकरण की दृष्टि से कोई दूसरा विकल्प उपलब्ध नहीं हो।
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