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    राममंदिर में हुआ आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल, भूकंप, बाढ़ और प्राकृतिक आपदा से 1000 साल तक नहीं होगा कोई नुकसान

  • January 21, 2024

    अयोध्या: अयोध्या (Ayodhya) के राम मंदिर में रामलला की प्रतिष्ठा (Ramlala’s reputation in Ram temple) 22 जनवरी को होगी. सालों की लड़ाई के बाद अयोध्या में रामलला की भव्य मंदिर का निर्माण (construction of a grand temple) किया जा रहा है. नवनिर्मित राम मंदिर के निर्माण में उच्च स्तर की आधुनिक तकनीक (high level modern technology) और वास्तुकला का इस्तेमाल किया गया है. राममंदिर का निर्माण इस तरह से किया जा रहा है कि अगले एक हजार साल में भी अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर को कोई नुकसान नहीं होगा. भूकंप से लेकर बाढ़ तक कोई भी प्राकृतिक आपदा राम मंदिर का बाल बांका नहीं कर पाएगी. अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर में लोहे, स्टील या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ है. यह मंदिर केवल पत्थर से बना है.

    मालूम हो कि प्राचीन काल में पत्थरों को एक-एक करके व्यवस्थित करके मंदिर का निर्माण किया जाता था. उसी पद्धति का पालन करते हुए राम मंदिर का भी निर्माण किया गया था. इसे कला की नागर शैली कहा जाता है. खजुराहो मंदिर, सोमनाथ मंदिर और कोणार्क मंदिर इसी तरह बनाए गए थे और आज भी बरकरार हैं. राम मंदिर के डिजाइन और निर्माण प्रसिद्ध वास्तुकार सतीश सहस्रबुद्धे के नेतृत्व में हुई है. उन्होंने कहा कि राम मंदिर के खंभे उसी तरह बनाए गए हैं जैसे नदी पर पुल के लिए खंभे बनाए जाते हैं. बारिश के पानी से भी मंदिर को नुकसान न हो, इसके लिए विशेष तकनीक का इस्तेमाल किया गया है.


    सहस्रबुद्धे ने कहा कि मुख्य रूप से तीन कारणों से अगले एक हजार साल तक राम मंदिर को कोई नुकसान नहीं होगा. सबसे पहले, राम मंदिर दक्षिण भारतीय मंदिर शैली के अनुसार बनाया गया है, जिसमें केवल लौह पत्थर की सीढ़ियों का उपयोग किया गया है, लोहे का नहीं. इसलिए अगले एक हजार वर्षों में भी मंदिर की संरचना में कोई विशेष परिवर्तन नहीं होगा. अकेले मंदिर का आधार बनाने के लिए 17,000 ग्रेनाइट पत्थरों और डेढ़ लाख पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. पत्थर का वजन 2 हजार 800 किलोग्राम है.

    दूसरे, सरयू नदी के पानी को मिट्टी से रिसकर मंदिर की संरचना को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए 12 मीटर की ग्रेनाइट की दीवार बनाई गई है. यह पत्थर भूकंपरोधी भी है. इंजीनियरों का कहना है कि भूकंप या कोई भी प्राकृतिक आपदा मंदिर को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती. राम मंदिर असंभव रूप से मजबूत नींव पर खड़ा है. तीसरा, मंदिर को सिर्फ भूकंप से ही नहीं बल्कि बिजली गिरने से भी नुकसान होने की संभावना नहीं है, क्योंकि राम मंदिर में 2 लाख एम्प्लीफायर बिजली निरोधक प्रणाली लगाई गई है. भारी बारिश होने पर भी मंदिर के पत्थरों में दरारें नहीं आएंगी.

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