भोपाल (Bhopal)। सोमवार, 22 जनवरी का दिन समूचे विश्व के सनातनियों के लिए बहुत विशेष होने जा रहा है। इस दिन प्रभु श्री रामलला (prabhu shree raamalala) की स्थापना होने जा रही है। भगवान राम (lord ram) के जन्म के विषय में नौमी तिथि मध्याह्न काल अभिजित मुहूर्त सर्वत्र प्राप्त है। सोमवार को दोपहर 12:30 का समय होगा तथा मेष लग्न होगा इस समय पर ग्रहों की स्थिति आकाश में अनेक प्रकार के शुभ योग बन रहे हैं। यह जानकारी शनिवार को प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य एवं कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. मृत्यंजय तिवारी ने दी।
चामर योग तथा दीर्घायु योग
डॉ. तिवारी ने बताया कि लग्न तथा अष्टम भाव का स्वामी मंगल नवम भाव में मित्र बृहस्पति की राशि में है। यह एक उच्च स्तरीय राजयोग है केंद्र का स्वामी नवम त्रिकोण में चले जाने से चामर योग तथा दीर्घायु योग बन रहा है। ऐसे योग में यदि किसी का जन्म हो तो वह जातक अत्यधिक धन और स्वास्थ्य से युक्त होता है। धार्मिक कार्यों में वृद्धि का गुण विशेष रहता है। साधु संतों की सेवा करने वाला होता है तथा धर्म कर्म में रुचि रहती है। ऐसे जातक की आयु भी लम्बी होती है।
धेनु योग तथा काम योग
द्वितीय तथा सप्तम भाव का स्वामी शुक्र नवम भाव में लग्नेश के साथ है यह योग धेनु योग तथा काम योग कहलाता है इस योग वाला जातक धन-धान्य से युक्त रहता है तथा जीवन पर्यन्त अपने धन का प्रयोग दान पुण्य जैसे शुभ कार्यों में करता है, ऐसे जातक की पत्नी भी सुंदर सुशील धार्मिक और सदाचारिणी स्वाभाव की होती है तथा गृहस्थ जीवन में सुख प्राप्त होता है।
शौर्य योग, तपस्वी योग तथा अस्त्र योग
तृतीय भाव और छठे भाव का स्वामी बुध नवम भाव में मंगल तथा शुक्र के साथ मिलकर शौर्य योग तपस्वी योग तथा अस्त्र योग बन रहा है। ऐसा जातक शूरवीर पराक्रमी होता है तथा शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने वाला होता है। वेद पाठ करने में जातक की रुचि रहती है तथा ज्योतिष या कथा वाचन आदि जैसे कार्यों में दक्ष होता है। काव्य कला लेखन कला की भी विशेष झलक इनके कलात्मक स्वभाव में मिलती है।
जलधि योग
चतुर्थ भाव का स्वामी चंद्रमा द्वितीय भाव में उच्च राशि में है। यह जलधि योग कहलाता है, इस योग वाले जातक का मकान बहुत सुंदर तथा आकर्षक होता है और बढ़ते समय के साथ-साथ में संपत्ति सुख और समाज में ऊंची प्रतिष्ठा प्राप्त करते हैं। ऐसे जातकों की वाणी मधुर तथा दूसरों को आकर्षक करने वाली होती है। भूमि लाभ के इन्हें अनेक अवसर मिलते हैं तथा वाहनों से भी इन्हें धन प्राप्ति के साधन मिलते हैं।
छत्र योग
पंचम भाव का स्वामी सूर्य दशम भाव में है जो की दिग्बली भी है, यह छात्र नमक राजयोग बना रहा है ऐसे योग वाला जातक बहुत बुद्धिमान होता है तथा इनका आईक्यू लेवल बहुत अच्छे स्तर का होता है महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन की कुंडली में यह योग था और अल्बर्ट आइंस्टीन की बुद्धि का लोहा पूरा विश्व मानता है। इस योग में जन्मा जातक अच्छे निर्णय लेने वाला तथा बुद्धि का सदुपयोग करने वाला होता है।
भाग्य योग तथा विदेश यात्रा योग
नवम तथा द्वादश भाव का स्वामी बृहस्पति लग्न में मित्र की राशि में है तथा दिगबली है। इसे भाग्य योग कहा जाता है ऐसा जातक बहुत भाग्यशाली और बुद्धिमान होता है। बड़े से बड़े संकट के समय में जातक को ईश्वर कृपा प्राप्त होती है तथा चमत्कारिक रूप से बड़े-बड़े संकटों को पार कर लेता है, दयालु वृत्ति इनमें एक जन्मजात गुण होता है यह जातक स्वयं कठिन परिस्थिति में रह लेंगे लेकिन अपने प्रिय जनों को कभी कष्ट का आभास तक नहीं होने देते। उन्हें विदेश जाने के भी अनेक अवसर मिलते रहते हैं।
ख्याति योग तथा पारिजात योग
दशम तथा एकादश भाव का स्वामी शनि एकादशी भाव में है इसे ख्याति योग तथा पारिजात योग कहते हैं। ऐसे योग में जन्म लेने वाला जातक राज्य कार्य में बहुत बड़े स्तर की मान प्रतिष्ठा प्राप्त करता है तथा उसके पास धन प्राप्ति के अनेक साधन होते हैं ऐसा जातक यदि निर्धन घर में भी जन्म लेता है तो भी वह अपने जीवन में बहुत बड़ी सफलता प्राप्त करता है ऐसा जातक अपने आप में ही एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
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