नई दिल्ली (New Delhi) । कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर (Mani Shankar Iyer) ने शुक्रवार को बताया कि 1986 बाबरी मस्जिद (Babri Masjid) के दरवाजे खोलने (opening doors) के पीछे तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) नहीं, बल्कि कांग्रेस नेता रहे अरुण नेहरू (Arun Nehru) जिम्मेदार थे. उन्होंने इसके पीछे उस समय पार्टी में प्रभाव रखने वाले अरुण नेहरू को जिम्मेदार ठहराया. अय्यर ने आरोप लगाया कि अरुण नेहरू बीजेपी द्वारा कांग्रेस में प्लांट किए गए थे. बाद में जब उनकी इस प्लानिंग का पता चला तो वह बीजेपी में शामिल हो गए.
अय्यर ने यह भी कहा कि उनका मानना है कि अगर राजीव गांधी जिंदा होते और पीवी नरसिम्हा राव की जगह प्रधानमंत्री होते तो बाबरी मस्जिद आज भी कायम होती. तब बीजेपी को उचित जवाब दिया गया होता और उन्होंने भी वैसा ही कोई समाधान निकाला होता जैसा सुप्रीम कोर्ट ने वर्षों बाद निकाला.
उन्होंने 22 जनवरी के राम मंदिर प्रतिष्ठा समारोह के निमंत्रण को अस्वीकार करने के कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के फैसले की भी सराहना की.
जगरनॉट द्वारा प्रकाशित अपनी पुस्तक के लॉन्च पर बोलते हुए अय्यर ने कहा, “वह (गांधी) कह रहे थे कि मस्जिद रखो और मंदिर बनाओ. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मंदिर बनाओ और मस्जिद कहीं और बनाओ. एक तरह से, फैसला वही निष्कर्ष है जिस पर राजीव आ रहे थे.”
वरिष्ठ पत्रकार वीर सांघवी के साथ फ्री-व्हीलिंग बातचीत के दौरान, कांग्रेस नेता ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की बीजेपी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुरा लिया है.
अय्यर की किताब गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल (31 अक्टूबर 1984-2 दिसंबर 1989) के बारे में बात करती है, जैसा कि उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में दिवंगत कांग्रेस अध्यक्ष के साथ मिलकर काम करते हुए देखा था. किताब में बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मुद्दा, शाह बानो मामला, भारत-श्रीलंका (राजीव-जयवर्धने) समझौता और भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) जैसे विवादों पर विस्तार से चर्चा की गई है.
1986 में बाबरी मस्जिद के दरवाजे खोलने के बारे में पूछे जाने पर, अय्यर ने कहा कि तथ्य यह है कि संसद में 400 सीटों के बहुमत के साथ राजीव गांधी के पास मुसलमानों को खुश करने या हिंदू भावना को प्रोत्साहित करने का कोई कारण नहीं था.
यह कहते हुए कि ताला खोलने के पीछे अरुण नेहरू का हाथ था, अय्यर ने कहा कि चूंकि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू लखनऊ के एक स्कूल में पढ़ते थे, इसलिए रामजन्मभूमि मुद्दा, जो उस समय एक स्थानीय मुद्दा था, उनके दिमाग में था.
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