नागदा (प्रफुल्ल शुक्ला)। नागदा-खाचरौद विधानसभा भाजपा में पिछले दो दिनो में जो कुछ भी घटा राजनैतिक गलियारों में उसके अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं। एक वर्ग भाजपा में नए युग का प्रारम्भ तो दूसरा इसे बदले की कार्यवाही का रूप मान रहा है। टिकिट वितरण के बाद से ही जो खेल प्रारम्भ हुआ है वो अब दूसरे रूप में भी जारी है। सच जो भी हो पर शह और मात का खेल कितने दिनों या सालों तक चलता है यह खेलने वालों नेताओं की ताकत पर निर्भर रहेगा।
मंच नहीं मिलने के कई मायने
रविवार को नागदा में पहली बार मुख्यमंत्री मोहन यादव विधानसभा में मिली सफलता पर कार्यकर्ताओं का सम्मान करने पहुँचे थे। इस दौरान पूर्व विधायक दिलीपसिंह शेखावत को मंच पर नहीं बैठाना चर्चा का विषय बन गया, जबकि मंच पर ऐसे नेता भी मंचासीन थे जो किसी पद पर नहीं थे। इस पूरे मामले में स्थानीय नेताओं के बीच चल रही खींचतान तो टिकिट वितरण से ही जारी हो चुकी थी जो परिणाम आने के बाद भी जारी है सभी को पता थी। महत्वपूर्ण तो यह है कि स्वयं मुख्यमंत्री, राष्ट्रीय नेता सत्यनारायण जटिया, प्रदेश संगठन प्रभारी हितानंद शर्मा, सांसद अनिल फिरोजिया तथा जिला अध्यक्ष बहादुरसिंह बोरमुंडला ने भी सामने कार्यकर्ताओं के बीच बैठे पूर्व विधायक को मंच पर बुलाना उचित नहीं समझा। इस पूरे मामले को लेकर भाजपा का एक वर्ग पूर्व विधायक को मंच पर आमंत्रित नहीं करने को लेकर स्थानीय नेताओं की राजनीति मान रहा है, वहीं दूसरी ओर एक वर्ग चुनाव के दौरान हुए सबोटेज की पल-पल खबर हाईकमान तक होने से जोड़कर देख रहा है। वरिष्ठ नेताओं को अनदेखी को इसी बात से जोड़कर देखा जा रहा है। सच जो भी हो परंतु शह मात का खेल नागदा खाचरौद विधानसभा में जारी है।
ऐतिहासिक जीत के बाद भी तीन अध्यक्षों का बदलाव
मुख्यमंत्री के कार्यक्रम में मंच पर जगह नहीं मिलने के एक दिन बाद ही तीन नए मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति कर पूर्व विधायक समर्थकों को एक और संदेश देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि नागदा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष के रूप में दिनेश जाट, खाचरौद मंडल अध्यक्ष चेतन शर्मा तथा इस्तीफा दे चुके ग्रामीण अध्यक्ष अजयसिंह भुआसा जो पूर्व विधायक के समर्थक माने जाते हैं की जगह नई नियुक्तियाँ कर दी गई। सोमवार देर शाम भोपाल प्रदेश अध्यक्ष द्वारा जारी सूची में नागदा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष लालसिंह आँजना, खाचरौद अनिल छाजेड़ तथा ग्रामीण लालसिंह सिसौदिया बंजारी को जिम्मेदारी सौंप दी। जीत के बाद भी यह बदलाव हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव और उसमें पदाधिकारियों की भूमिका से जोड़कर देखा जा रहा है।
नागदा जिले के घोर विरोधी को कमान
नागदा को जिला बनाए जाने की सशर्त पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की घोषणा के बाद से ही खाचरौद में विरोध का आंदोलन प्रारम्भ हुआ। नागदा को जिला बनाने को लेकर खाचरौद में स्थानीय से लेकर भोपाल तक हुए आंदोलन का नेतृत्व भाजपा नेता अनिल छाजेड़ द्वारा किया गया था। अब उन्हें भाजपा में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने से नागदा को जिले के रूप में देखने वालों को एक झटका और लगा है। इस नियुक्ति को जिले का मामला खटाई में पडऩे के कयासों को बल मिल गया है।
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