लगातार 6 बार नंबर वन रहा इंदौर इस बार पिछड़ा…
सूरत के साथ साझा करना पड़ा नंबर वन अवॉर्ड
इंदौर, राजेश ज्वेल, लगातार सातवीं बार इंदौर नम्बर वन तो बना, मगर उसे अपना अवॉर्ड सूरत के साथ साझा करना पड़ा। यानी अब देश के सबसे स्वच्छ शहर के अवॉर्ड पर उसका एकाधिकार नहीं रहा। गत वर्ष भी सूरत ने इंदौर को कड़ी टक्कर दी थी।
इंदौर लगातार 6 बार तो नम्बर वन रहा, लेकिन सातवीं बार की दौड़ में वह बीते कुछ महीनों से पीछे इसलिए नजर आ रहा था कि शहर की साफ-सफाई पर जनता ही उंगली उठाने लगी और जगह-जगह कूड़े के ढेर नजर आने लगे। जनप्रतिनिधि और अफसरों ने भी स्वच्छता को लेकर गंभीरता नहीं दिखाई। जनता अवश्य अपने स्तर पर जुटी रही और उसी का परिणाम है कि कम से कम इंदौर नम्बर वन की श्रेणी में बरकरार रहा। इस बार इंदौर के साथ-साथ सूरत को भी सेवन स्टार रैंकिंग हासिल हो गई, जबकि गत वर्ष उसने कड़ी टक्कर तो दी, मगर फाइव स्टार रैंकिंग के चलते वह इंदौर से 200 अंक पीछे हो गया था। मगर इस बार सेवन स्टार रैंकिंग के अलावा अन्य मापदण्डों पर भी उसने इंदौर को कड़ी टक्कर दी और यही कारण है कि नम्बर वन के अवॉर्ड में इंदौर के साथ सूरत को भी शामिल करना पड़ा। एक तरह से यह इंदौर के स्वच्छता मॉडल को झटका भी है, क्योंकि अभी तक इंदौर का ही डंका देश और दुनिया में नम्बर वन के चलते बजता रहा है। अवार्ड के लिए दिल्ली में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, विभागीय मंत्र कैलाश विजयवर्गीय, महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित परिषद के कई सदस्य मौजूद रहे।
दूसरे शहर हमसे आगे निकल रहे हैं…
इंदौर के मुकाबले नवी मुंबई, सूरत सहित अन्य शहरों ने स्वच्छता के मामले में तेजी से अपनी स्थिति लगातार बेहतर की और गत वर्ष सूरत मात्र 175 नम्बर से ही इंदौर से पीछे था, लेकिन वाटर प्लस, सिटीजन फीडबैक, स्टार रैंकिंग सहित अन्य मापदण्डों की बदौलत हमें नम्बर वन का खिताब बाद के वर्षों में मिलता रहा। जबकि शहर की सफाई व्यवस्था पिछले सालभर के अंदर चौपट ही हुई है। अग्रिबाण ने भी लगातार इस मुद्दे को उठाया और यह भी लिखा था कि अब हम स्वच्छता में नम्बर वन बनने के हकदार नहीं हैं।
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