नई दिल्ली: देश के अंतरिम बजट (interim budget) में 20 दिन भी मुश्किल से समय बचा है. देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) आम चुनाव से पहले देश की जनता को सौगात देने की तैयारी में जुटी हुई हैं. ऐसे में उन्होंने एक ऐसा बयान या यूं कहें कि ऐलान कर दिया है. जिससे जापान के साथ-साथ चीन भी खौफ में आ सकता है. ये बात किसी से छिपी नहीं कि दुनिया की बड़ी इकोनॉमीज में भारत की जीडीपी (India’s GDP) की रफ्तार सबसे तेज है. आने वाले दो से तीन सालों में यही स्थिति बनी रह सकती है. इसी को देखते हुए निर्मला सीतारमण ने वाइब्रेंट गुजरात के समारोह (Celebrations of Vibrant Gujarat) से कहा है कि आने वाले चार वित्त वर्ष में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा. इसका मतलब है कि मौजूदा दशक के खत्म होने से पहले भारत की इकोनॉमी सिर्फ यूएस और चीन से ही नीचे होगी. यानी हम जापान और जर्मनी तक को पीछे कर देंगे.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि भारत वित्त वर्ष 2027-28 तक पांच लाख करोड़ डॉलर से अधिक की जीडीपी के साथ दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. इसके साथ ही सीतारमण ने कहा कि रुढ़िवादी अनुमानों के हिसाब से भी भारतीय इकोनॉमी का साइज वर्ष 2047 तक 30 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगा. सीतारमण ने यहां आयोजित वाइब्रेंट गुजरात वैश्विक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि संभव है कि हम वित्त वर्ष 2027-28 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होंगे और हमारी जीडीपी उस समय तक पांच लाख करोड़ डॉलर से अधिक हो जाएगी. एक रुढ़िवादी अनुमान है कि वर्ष 2047 तक हमारी अर्थव्यवस्था कम-से-कम 30 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंच जाएगी.
इस समय भारत लगभग 3.4 लाख करोड़ डॉलर के जीडीपी के साथ दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था है. अभी अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी उससे आगे हैं. भारतीय अर्थव्यवस्था के चालू वित्त वर्ष में 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ने का अनुमान है जबकि पिछले वित्त वर्ष में इसकी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी. इस मौके पर सीतारमण ने कहा कि भारत को वर्ष 2023 तक 23 वर्षों के दौरान 919 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मिला है. इसमें से 65 प्रतिशत यानी 595 अरब डॉलर एफडीआई नरेन्द्र मोदी सरकार के पिछले आठ-नौ वर्षों के कार्यकाल में आया है. उन्होंने वित्तीय समावेशन का जिक्र करते हुए कहा कि बैंक खाता रखने वाले लोगों की संख्या 50 करोड़ हो गई है जबकि 2014 में 15 करोड़ लोगों के पास ही बैंक खाते थे.
वाइब्रेंट गुजरात समारोह की चकाचौंध में जो बयान देश की वित्त मंत्री दिया है. उससे साफ है कि वित्त वर्ष 2027-28 तक भारत अगर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी होगा तो जर्मनी और जापान दोनों भारत से नीचे आ जाएंगे. मौजूदा समय में दोनों ही तीसरी और चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी है. भारत का नंबर इन दोनों के बाद है. जरा आंकड़ों से समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर जर्मनी और जापान से कैसे पीछे छूट सकते हैं? मौजूदा समय में जापान की इकोनॉमी 4.2 ट्रिलियन डॉलर है. जबकि भारत की इकोनॉमी 3.7 ट्रिलियन डॉलर की है. भारत जापान को अगले डेढ़ से दो वित्त वर्ष में पीछे छोड़ सकता है. वहीं दूसरी ओर जर्मनी की जीडीपी 4.4 ट्रिलियन डॉलर की है. जिसके लेवल को अगले तीन से साढ़े तीन वित्त वर्ष में पीछे छोड़ सकता है. इसका मतलब है कि करीब 4 वित्त वर्ष में भारत की इकोनॉमी इन दोनों देशों को पीछे छोड़ते हुए तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी होगा.
भले ही चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है. मौजूदा समय में भारत के मुकाबले चीन की इकोनॉमी 15 से 16 गुना आगे है. उसके बाद भी अगर भारत की इकोनॉमी वित्त वर्ष 2027-28 में 5 ट्रिलियन डॉलर से आगे निकलती है तो चीन भी खौफ में आएगा. उसका प्रमुख कारण चीन की लगातार गिरती ग्रोथ और भारत की लगातार बढ़ती रफ्तार है. अनुमान के अनुसार चीन की इकोनॉमिक ग्रोथ आने वाले दो वित्त वर्ष में 5 फीसदी से कम रहने के आसार है. जिसका असर देश की नॉमिनल जीडीपी पर साफ दिखाई देगा. जिसका फायदा भारत को मिलेगा. इस तरह से भारत साल 2047 दुनिया की पहली या दूसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बनने के कगार पर पहुंच जाएगा. जब देश की आजादी के 100 साल भी पूरे हो जाएंगे.
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