हर दिन ये दृश्य आम… यातायात विभाग नहीं कर रहा जांच
इंदौर। कल स्कूल बस हादसे (School Bus Accident) में हुई मौत के बाद भी यातायात विभाग (traffic department) स्कूल वाहनों की जांच को लेकर कोई सुध नहीं ले रहा है। जुलाई में चलाए जांच अभियान के बाद अब तक यातायात पुलिस ने कोई विशेष जांच अभियान नहीं चलाया है। स्कूल प्रबंधन के साथ बैठक कर जरूर इतिश्री कर ली है।
हर दिन सुबह शहर के कई क्षेत्र में ये दृश्य आम है कि स्कूल वैन और ऑटो और अन्य स्कूली वाहनों में क्षमता से अधिक बच्चे बैठे नजर आते हैं। कई बच्चे भी बाहर की और निकले दिख जाते हैं तो कई ऑटो और वैन में बच्चे ही इतने होते हैं कि उनके बैग बाहर की और लटके रहते हैं, जिससे किसी भी समय हादसा होने का अंदेशा बना रहता है। समय-समय पर यातायात विभाग और परिवहन विभाग जांच की बात करता है, लेकिन जांच के तुरंत बाद ही ये दृश्य फिर आम हो जाते हैं। मामले में एडिशनल सीपी यातायात मनीष कुमार अग्रवाल का कहना है कि हमने हाल ही में स्कूलों के साथ बैठक कर उन्हें नियमों के पालन संबंधी जानकारी दी थी। समय-समय पर जांच भी करते रहते हैं।
स्कूलों की खुद की बसें नहीं… कांट्रेक्ट पर चलाते हैं… न फिटनेस न ड्राइवर की जानकारी
शहर में सैकड़ों बड़ी स्कूलों की सैकड़ों बसें हर दिन सडक़ पर होती हैं। कई स्कूलों की तो खुद की बसें हैं, लेकिन कई स्कूल ऐसे भी हैं, जिनकी खुद की बसें न होकर कॉन्ट्रेक्ट बेस पर है, इसलिए कई स्कूल प्रबंधन को पता भी नहीं होता कि कौनसी बस पर कौन ड्राइवर चल रहा है। न ही प्रशासन, परिवहन विभाग या यातायात विभाग के पास ऐसी कोई सूची होती है कि कौन-से स्कूल की खुद की बसें हैं और कौन-से स्कूलों की बसें कॉन्ट्रेक्ट बेस पर। प्रबंधन को कई बार बसों के फिटनेस, परमिट की जानकारी भी नहीं होती है।
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