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    नियमों में संशोधन बिना कागज के टुकड़े ही रहेंगे टीडीआर सर्टिफिकेट, कोई नहीं खरीदेगा

  • January 05, 2024

    • अग्निबाण सुझाव… रीसिविंग एरिया तो घोषित कर दिया, मगर अब पार्किंग नॉर्मस, एमओएस के साथ ग्राउंड कवरेज नियमों में करना पड़ेगा संशोधन, तभी सफल साबित होगी पॉलिसी

    इंदौर। शासन द्वारा घोषित की गई टीडीआर पॉलिसी में नगर निगम सीमा के सम्पूर्ण क्षेत्र को जहां रीसिविंग एरिया घोषित कर जहां दावे-आपत्तियां बुलवाई हैं, वहीं पूर्व में भी अग्रिबाण ने इस संबंध में महत्वपूर्ण सुझाव नगरीय विकास एवं आवास मंत्रालय को सौंपे थे, जिसमें पार्किंग, नॉर्मस, एमओएस के साथ ग्राउंड कवरेज के नियमों में आवश्यक संशोधन किए जाना अनिवार्य है। अथवा कोई भी बिल्डर या कॉलोनाइजर टीडीआर सर्टिफिकेट खरीदेगा ही नहीं और जिस तरह अभी वर्षों से ये सर्टिफिकेट महज कागज के टुकड़े हैं, उसी तरह भविष्य में भी रहेंगे, क्योंकि वर्तमान मास्टर प्लान भूमि विकास नियम से लेकर बिल्डिंग परमिशन प्रावधानों के चलते स्वीकृत एफएआर का ही पूरा इस्तेमाल नहीं हो पाता है। रियल इस्टेट कारोबारियों की प्रमुख संस्था क्रेडाई ने भी लगातार इस मामले में अपने सुझाव सौंपे हैं।

    शासन ने कुछ समय पूर्व टीडीआर पॉलिसी तो लागू कर दी, मगर उसका उपयोग किन क्षेत्रों में होगा वह रीसिविंग एरिया तय नहीं किए, जिसके लिए अब अधिसूचना जारी करते हुए 15 दिन में आपत्तियां-सुझाव नगर तथा ग्राम निवेश ने आमंत्रित किए हैं, जिसमें इंदौर निगम की सीमा में शामिल 281 वर्ग किलोमीटर का एरिया मान्य किया गया है। यानी जो टीडीआर सर्टिफिकेट है उसका इस्तेमाल सम्पूर्ण निगम क्षेत्र में किया जा सकेगा। 12 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले भवनों में इस सर्टिफिकेट का उपयोग होगा। मगर उसके पहले शासन को ग्राउंड कवरेज, जो कि अभी 30 फीसदी है, उसे बढ़ाकर 40 से 50 फीसदी तो करना ही पड़ेगा, वहीं उसे भूखंड के आकार के मान से लचीला भी रखना होगा। इसके अलावा मैकेनाइज्ड पार्किंग की अनुमति भी जरूरी है और बिल्डिंग हाइट के साथ अन्य प्रावधानों को भी शिथिल किया जाना जरूरी है। अभी सडक़ चौड़ाई के आधार पर बहुमंजिला इमारतों को अनुमति दी जाती है। जबकि दिल्ली-मुंबई जैसे बड़े शहरों में कम चौड़ाई की सडक़ों पर भी ऊंची इमारतों को अनुमति मिल जाती है, जहां पर फायर फाइटिंग, पार्किंग सहित अन्य नॉम्स का सख्ती से पालन कराया जाता है। क्रेडाई अध्यक्ष संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि मिश्रित भू-उपयोग के लिए भी स्पष्ट प्रावधान जरूरी हैं। साथ ही साइड और फ्रंट एमओएस में भी शिथिलता चाहिए और बिल्डिंग की ऊंचाई भी अधिक मिले। सडक़ चौड़ाई के साथ भूखंडों के क्षेत्रफल में भी परिवर्तन जरूरी है। क्रेडाई द्वारा भी विस्तृत सुझाव सौंपे जा रहे हैं।


    मैकेनाइज्ड पार्किंग के साथ, बिल्डिंग ऊंचाई में मिले छूट
    फायर ब्रिगेड की गाड़ी आसानी से पहुंच सके इसके लिए साढ़े 4 मीटर की चौड़ाई पर्याप्त रहती है। मगर इसकी बजाय 12 मीटर तक जगह छुड़वाई जाती है। अधिकतम ग्राउंड कवरेज की सीमा 30 प्रतिशत विलोपित करने के साथ 288 वर्गमीटर से अधिक के भूखंडों पर स्टील्ट पार्किंग प्रावधान के साथ इसे एफएआर और ऊंचाई की गणना से भी मुक्त रखा जाए। इससे पार्किंग समस्या में भी कमी आएगी।

    मिश्रित भू-उपयोग के लिए भी स्पष्ट हों प्रावधान
    मास्टर प्लान में मिश्रित भू-उपयोग का प्रावधान तो किया गया है, मगर इसके भी स्पष्ट मापदण्ड नए सिरे से निर्धारित किए जाने की जरूरत है। इसमें मास्टर प्लान के कुछ प्रावधानों को विलोपित करने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह के प्रकरणों में आवश्यकतानुसार अनुज्ञेय व्यवसायिक अनुमतियां अलग-अलग मंजिलों पर ली जा सके और इसमें भी मार्ग की चौड़ाई में रियायत जरूरी है।

    महापौर ने दिया मुख्यमंत्री के साथ विभागीय मंत्री को धन्यवाद भी
    महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने पिछले दिनों मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को पत्र लिखकर टीडीआर के उपयोग सहित अन्य सुझाव दिए थे, जिस पर अभी शासन ने अधिसूचना का प्रकाशन कर दिया। इस पर महापौर ने मुख्यमंत्री के साथ नगरीय विकास और आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय का भी आभार माना है। महापौर का कहना है कि रीसिविंग एरिया तय होने से टीडीआर सर्टिफिकेट का इस्तेमाल आसानी से किया जा सकेगा। हालांकि महापौर ने भी एमओएस सहित अन्य नियमों में संशोधन की बात कही है। वहीं इससे निगम को अतिरिक्त राजस्व की प्राप्ति भी होगी।

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