इंदौर। 1 नंबर के विधायक कैलाश विजयवर्गीय के मंत्री बनते ही चुनाव के दौरान जो-जो समस्याएं सामने आई थीं, उनका हल करना शुरू कर दिया है। चंूकि विजयवर्गीय अभी मंत्रिमंडल की बैठकों में व्यस्त हैं, इसलिए उनके स्थान पर उनके पुत्र पूर्व विधायक आकाश विजयवर्गीय आज वार्ड क्रमांक 3 में 7 स्थानों पर ड्रेनेज लाइनों का भूमिपूजन करने जा रहे हैं।
कल से विधानसभा 1 में आभार यात्रा भी शुरू की गई है। आकाश विजयवर्गीय ने इसकी कमान संभाल रखी है। कल वे क्षेत्रीय पार्षद महेश चौधरी के साथ एक नंबर वार्ड में पहुंचे थे और वहां अलग-अलग स्थानों पर कार्यकर्ताओं का आभार जताया। उन्होंने कहा कि जिस तरह की जीत एक नंबर के कार्यकर्ताओं ने दिलाई है, उससे जवाबदारी बढ़ गई है। वार्ड के शक्ति केन्द्रों पर जाकर भी कार्यकर्ताओं से चर्चा की जा रही है, वहीं आज 3 नंबर वार्ड से विकास कार्यों की शुरुआत की जा रही है। आकाश विजयवर्गीय आज 7 स्थानों पर ड्रेनेज लाइनों का भूमिपूजन करेंगे। इसमें कालानी नगर, नगीन नगर, जयश्री नगर और नंदन नगर शामिल हैं। इसके पहले सुबह वार्ड के कार्यकर्ताओं और निगम अधिकारियों से चर्चा भी की जाएगी, जिससे मालूम चल सके कि क्षेत्र में क्या-क्या समस्याएं हैं। इसके साथ ही शाम को हनुमंत वाटिका कालानी नगर में जरूरतमंदों को स्वेटर का वितरण भी किया जाएगा।
विजयवर्गीय के मंत्री बनते ही निगम के कामों में आई तेजी… जगमगाएगा शहर… आठ हजार स्ट्रीट लाइटें आर्इं
कैलाश विजयवर्गीय के नगरीय निकाय मंत्री बनते ही इंदौर नगर निगम के कामों में तेजी आ गई है। शहर में कई स्ट्रीट लाइटें खराब होकर बंद पड़ी हैं, साथ ही कई नए पोलों पर लाइटें लगना बाकी हैं, जिन्हे रोशन करने के लिए 8 हजार एलईडी लगेगी। शहर में 12 हजार से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें ऐसी हैं, जो दिन में भी चालू रहती हैं, उन्हें बंद करने के लिए एमपीईबी के साथ निगम की टीमें कार्य में जुटी हैं। शहरभर में डेढ़ लाख से ज्यादा स्ट्रीट लाइटें हैं। इनमें से 21 हजार स्ट्रीट लाइटें दिनभर चालू रहती थीं। इस पर निगम विद्युत यांत्रिकी विभाग की टीम और एमपीईबी की टीम ने सयुंक्त रूप से कार्रवाई का अभियान चलाया और 9 हजार स्ट्रीट लाइटों को सुधारने के साथ वहां स्वीच बोर्ड लगाए गए। विद्युत यांत्रिकी समिति के प्रभारी जीतू यादव के मुताबिक शहर में 8 हजार से ज्यादा विद्युत पोल खाली पड़े हैं, जहां एलईडी लाइट लगाने के लिए अब निगम अलग-अलग फर्मों को काम सौपेंगा। पूर्व में एक ही कंपनी को शहरभर के काम सौंपने पर उसमें देरी तो होती ही थी, साथ ही काम भी उलझन में पड़ जाते थे।
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