नई दिल्ली (New Delhi)। इस साल आकाश में सूर्य और चंद्र ग्रहण (Lunar and solar eclipses) के साथ सौर तूफान (celestial dance solar storm) का दुनियाभर में अद्भुत नजारा (astronomical events) देखने को मिलेगा। उल्का की बौछार (Meteor shower) से लेकर कई खगोलीय घटनाएं होने वाली हैं। पहले महीने में चंद्र ग्रहण और पूर्ण सूर्य ग्रहण से पहले जनवरी की चार तारीख को उल्का की बौछार देखने को मिल सकती है।
खगोलविदों का अनुमान है कि हर घंटे करीब 80 उल्कापिंड की बारिश होगी। अगर ये प्रक्रिया चरम पर पहुंचती है तो ये आंकड़ा हर घंटे 200 के पार चला जाएगा। इसके बाद फरवरी में वुल्फ मून देखने को मिलेगा। इस वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण भारत में आंशिक ही होगा। यह 24-25 मार्च को लगेगा। यह ग्रहण उत्तर और पूर्व एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक और अंटार्कटिका के अधिकांश हिस्सों में दिखाई देगा।
आसमान में दिखाई देंगे ऑरोरा
इस वर्ष सौर गतिविधि भी बहुत ज्यादा देखने को मिलेगी। इसके चलते ध्रुवों पर सामान्य से ज्यादा ऑरोरा देखने को मिलेंगे। सूर्य 2024 के मध्य से अंत तक अपने 11 साल के चक्र के चरम पर पहुंचने वाला है।
अप्रैल में पहला सूर्य ग्रहण
अप्रैल में चैत्र अमावस्या को साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। यह पश्चिमी एशिया, दक्षिणी-पश्चिम यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, अटलांटिक महासागर, उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव में देखा जा सकेगा। भारत में इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा।
सितंबर में चंद्र ग्रहण
दूसरा चंद्र ग्रहण 17-18 सितंबर को लगेगा। यह आंशिक चंद्र ग्रहण होगा। इसलिए भारत में नहीं दिखाई देगा। इसे यूरोप, उत्तरी और दक्षिणी अमेरिका, दक्षिण और उत्तर अफ्रीका, हिंद महासागर, अटलांटिक महासागर और आर्कटिक महासागर में देखा जा सकता है। अगस्त में 11 से 13 के बीच पर्सीड उल्का बौछार होंगी। खगोलविदों के मुताबिक, इस बार आसमान में लगभग पचास उल्का पिंड नजर आ सकते हैं। वहीं वर्ष 2024 में दिसंबर में 13 और 14 तारीख को जेमिनिड उल्का बौछार होगी और पूरी रात चलेगी। हर घंटे लगभग 75 उल्का देखी जा सकेंगी।
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