कोलकाता । पश्चिम बंगाल में (In West Bengal) ग्रामीण विकास निधि (Rural Development Funds) खर्च न होने से (Over Non-Spending) ममता सरकार (Mamata Government) चिंतित (Worried) । चालू वित्त वर्ष समाप्त होने में सिर्फ तीन महीने बचे हैं, पश्चिम बंगाल में ग्रामीण विकास के लिए 15वें वित्त आयोग के तहत कुछ जिलों में दी गई धनराशि खर्च न हो पाने की वजह से तृणमूल कांग्रेस सरकार चिंतित है।
राज्य सरकार ने हाल ही में जिलाधिकारियों को संबंधित पंचायत अधिकारियों के साथ समन्वय बैठकें आयोजित करने के लिए कहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनके जिलों के लिए आवंटित अव्ययित धनराशि का चालू वित्तीय वर्ष के शेष तीन महीनों के दौरान लगन से उपयोग किया जाए।
खर्च न किए गए धन को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चिंता इस तथ्य से बढ़ गई है कि विपक्षी भाजपा ने पहले ही इस तथ्य को उजागर करते हुए एक अभियान शुरू कर दिया है कि सत्तारूढ़ दल मनरेगा योजनाओं के तहत किए गए काम के लिए केंद्रीय बकाया का भुगतान न करने के लिए केंद्र सरकार पर हमला कर रहा है। बावजूद इसके कि राज्य सरकार ग्रामीण विकास के लिए दी गई केंद्रीय राशि खर्च करने में असमर्थ है।
305.11 करोड़ रुपये के साथ, मुर्शिदाबाद जिले में सबसे अधिक अप्रयुक्त धनराशि पड़ी हुई है, इसके बाद दक्षिण 24 परगना में 298,03 करोड़ रुपये हैं। अन्य जिले जहां फंड का उपयोग दयनीय रूप से कम हुआ है, वे हैं उत्तर 24 परगना, हुगली, पूर्वी बर्दवान, बीरभूम और नादिया, जहां 100 करोड़ रुपये तक की अव्ययित धनराशि है। ग्रामीण विकास परियोजनाओं के लिए धन का उपयोग मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में त्रि-स्तरीय पंचायत प्रणाली के दो स्तरों, अर्थात् जिला परिषद और ग्राम पंचायतों के माध्यम से किया जाता है।
विपक्षी दल दावा कर रहे हैं कि निगरानी की कमी के कारण चालू वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में बिना खर्च की गई धनराशि जमा हो गई। वे यह भी बता रहे हैं कि इस महत्वपूर्ण क्षेत्र की उपेक्षा करके राज्य सरकार ने वास्तव में ग्रामीण आबादी को उनके वैध देय से वंचित कर दिया है।
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