इन्दौर। इंदौरी मंत्रियों को लेकर जो कयास लगाए जा रहे थे, वही हुआ। कैलाश विजयवर्गीय को नगरीय प्रशासन जैसा बड़ा विभाग देकर प्रशासनिक कसावट को एक तरह से तवज्जो दी गई है, वहीं इस मंत्रिमंडल में विभाग के मामले में तुलसी सिलावट कमजोर साबित हुए हैं। सिलावट को जल संसाधन के रूप में पुराना विभाग ही दिया गया है। अब वे पुरानी योजनाओं को पूरी करने के लिए अपनी ताकत लगाएंगे। प्रहलाद पटेल को भी गांव के विकास का जिम्मा देकर उन्हें नहीं जवाबदारी सौंपी हैं, वे विधायक बनने के पहले केन्द्र सरकार में राज्यमंत्री थे।
वैसे जिस तरह से आलाकमान की मध्यप्रदेश के हर फैसले में चल रही हैं, वैसा ही मंत्री पद के बंटवारे में भी देखने को मिला है। मुख्यमंऋी मोहन यादव ने गृह और जनसंपर्क विभाग अपने पास रखा है, लेकिन कैलाश विजयवर्गीय जैसे नेता को नगरीय विकास और आवास जैसा बड़ा विभाग देकर संकेत दिए हैं कि वे प्रशासनिक कसावट चाहते हैं। विजयवर्गीय शुरू से ही नौकरशाही पर लगाम लगाने के पक्षधर रहे हैं। उन्होंने मंत्री बनते से ही चेता दिया था कि आम लोगों के कामों को तवज्जो दी जाना चाहिए। अब यह तो तय है कि विजयवर्गीय को विभाग मिलने से नगरीय विकास की अधोसंरचना में विकास के नए आयाम देखने को मिलेंगे। चूंकि शहरी विकास से संबंधित यह मंत्रालय है, इसलिए डेवलपमेंट से संबंधित कई बदलाव नजर आना लाजिमी है।
दोनों को विभाग का पुराना अनुभव काम आएगा
हालांकि दोनों ही कद्दावर मंत्री रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय का नगरीय प्रशसन में पुराना अनुभव है। प्रदेश में मंत्री रहे विजयवर्गीय बाबूलाल गौर सरकार में लोक निर्माण मंत्री रहे थे। जब वे शिवराज सरकार में थे तब उनके पास आईटी और उद्योग विभाग थे। तीसरी बार में उनके पास शहरी विकास विभाग था। इसके पहले वे महापौर भी रहे। वहीं तुलसी सिलावट जब कांग्रेस सरकार में मंत्री थे तब उन्होंने शुद्ध के खिलाफ युद्ध चलाया, लेकिन 2020 में जब सरकार गिरी तब वे भाजपा में आ गए थे। भाजपा सरकार में शुरू से ही उनके पास जल संसाधन जैसा महत्वपूर्ण विभाग था। हर घर नल से जल योजना को लेकर उनके विभाग ने कई कार्य किए हैं। अब बचे हुए काम करने की जवाबदारी उनकी है।
प्रहलाद पटेल- प्रहलाद पटेल को ग्रामीण विकास एवं श्रम विभाग दिया गया है। वैसे पटेल के कद के हिसाब से यह विभाग छोटा है। फिर भी ऊपर से इस पर मोहर लगा दी गई है। कहा तो यह जा रहा है कि पटेल की मंशा के अनुरूप ही यह विभाग मिला है।
गोविंदसिंह राजपूत-गोविंदसिंह के पास पहले परिवहन अमला था। सरकार मे ंयह विभग मलाईदार माना जाता हे, लेकिन उन्हें इस मंत्रिमंडल में खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग देकर उनका कद घटाया गया है।
राव उदयप्रतापसिंह-सांसद से विधायक बने राव उदयप्रतापसिंह को ताकतवर मंत्री बनाकर उन्हें परिवहन मंत्रालय सौंपा हैं। इसके साथ ही उन्हें स्कूली शिक्षा विभाग भी दिया गया है। दोनों ही विभाग अपने आप में बड़े हैं। इंदरसिंह परमार-इंदरसिंह परमार का एक तरह से प्रमोशन किया गया है। वे पहले स्कूली शिक्षामंत्री थे, लेकिन अब वे उच्च शिक्षा मंत्री हो गए हैं। निर्मला भूरिया-इंदौर संभाग तथा विशेषकर आदिवासी क्षेत्र से आने वाली निर्मला भूरिया को पहली ही बार में बड़ा विभाग दिया गया है। यह विभाग अपने आप में काफी बड़ा विभाग है और इसका फंड भी काफी ज्यादा है। धर्मेन्द्र लोधी-उषा ठाकुर के पास जो विभाग था वह लोधी को दिया गया है। सभी विभाग उन्हें दिए गए हैं। हालांकि इन विभागों में ज्यादा फंड नहीं रहता है, फिर भी पर्यटन और धार्मिक न्यास में बहुत कुछ करने की संभावना रहती है। (इसके अलावा दोनों उपमुख्यमंत्रियों को भी भारी-भरकम विभाग देकर उनका कद बढ़ाया है तो मुख्यमंत्री ने कई विभागों को अपने पास रखा है।)
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