नई दिल्ली (New Dehli) । जब अयोध्या(Ayodhya) में 22 जनवरी 2024 को श्री राम मंदिर (Shri Ram Mandir)में प्राण प्रतिष्ठा हो रही होगी तो सभी मंदिर (Temple)सजाए जाएंगे मगर कानपुर (Kanpur)में देश का इकलौता (only)ऐसा मंदिर है जिसके कपाट तक नहीं खुलेंगे। यह देश का इकलौता दशानन मंदिर है जो कानपुर शहर के शिवाला मोहल्ले में है। पूरे साल में सिर्फ एक बार विजयादशमी के दिन ही इस मंदिर के कपाट खुलते हैं। ऐसी मान्यता है कि बाकी दिन कपाट खोलने से अनिष्ट हो सकता है। मंदिर सौ साल से भी ज्यादा पुराना है। विजयादशमी के दिन लोग सुबह ही यहां रावण की पूजा करते हैं। शक्ति के प्रतीक के रूप में दशानन की पूजा के लिए श्रद्धालु तेल के दीये जलाते हैं। मन्नत भी मांगते हैं। इससे पहले रावण की प्रतिमा का साज-शृंगार किया जाता है। आरती होती है। शाम को मंदिर के कपाट फिर से साल भर के लिए बंद कर दिए जाते हैं।
प्रहरी के रूप में पूजा
दशानन मंदिर के केयर टेकर पुजारी प्रभाकर सिंह कहते हैं यहां रावण की पूजा शक्ति के प्रहरी के रूप में की जाती है। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने देवी की भी अराधना की थी। देवी मां का भी आशीर्वाद दशानन को था। ऐसी मान्यता है कि रावण की पूजा से प्रसन्न होकर देवी छिन्नमस्तिका ने वरदान दिया था। कहा था कि उनकी पूजी तभी सफल होगी जब लोग तुम्हारी (रावण) भी करेंगे।
छिन्नमस्तिका के बाद होती रावण की पूजा
ऐसा कहते हैं कि वर्ष 1868 में तत्कालीन राजा ने छिन्नमस्तिका का मंदिर बनवाया था। रावण की पांच फीट की मूर्ति प्रहरी के रूप में बनवाई गई थी। इसी के बाद विजयादशमी के दिन मां छिन्नमस्तिका की पूजा के बाद रावण की भी आरती होती है। मान्यता है कि दशानन को तेल और पीले फूल चढ़ाने से भक्तों के ग्रहों के सारे दोष समाप्त हो जाते हैं। घर में खुशियां छा जाती हैं।
क्या बोले केयर टेकर पुजारी
दशानन मंदिर के केयर टेकर पुजारी प्रभाकर सिंह ने कहा कि 22 जनवरी को दशानन के मंदिर के कपाट खोलने का सवाल ही नहीं है। परंपरा के मुताबिक सिर्फ विजयादशमी के दिन ही खोला जा सकता है। वैसे श्री राम मंदिर बनने से मुझे अपार खुशी है। खुशियां मनाई ही जानी चाहिए।
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