इंदौर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठने के बाद जीतू पटवारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीटें बढ़ाने की हैं। वैसे भाजपा के पास 28 सीट है और एकमात्र सीट छिंदवाड़ा की है, जहां कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ सांसद हैं। हालांकि यह भी उनकी व्यक्तिगत सीट है। पटवारी इसमें से कुछ सीटें कांग्रेस की झोली में डाल देते हैं तो भी उनकी सार्थकता केन्द्रीय नेतृत्व के सामने चुनौती होगी। पटवारी कल नागपुर में थे, जहां पार्टी ने लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया है। पटवारी ने भी लगातार कांग्रेस पदाधिकारियों की बैठकें लेना शुरू कर दिया है और जिलाध्यक्षों की बैठक में पहुंचे प्रदेश प्रभारी भंवर जितेन्द्र ने पूरी कार्यकारिणी भंग कर कांग्रेस में नई पदाधिकारियों की नियुक्ति के रास्ते खोल दिए हैं। हालांकि यह भी पटवारी के लिए चुनौती भरा साबित रहने वाला है, क्योंकि जो कार्यकारिणी बनना है, उसमें किसे लें और किसे नहीं, इसको लेकर भी गुटबाजी सामने आएगी।
पटवारी लोकसभा चुनाव तक चाहते हैं कि कार्यकारिणी सीमित हो और इसमें सक्रिय तथा युवा नेताओं को ही मौका मिले, जिससे प्रदेश की लोकसभा सीटों पर भाजपा को करारी मात दी जा सके। एक तरह से पटवारी की अध्यक्ष रहते यह पहली परीक्षा है,जब लोकसभा चुनाव सामने हैं। प्रदेश में कांग्रेस की जो दयनीय हालत है, वह किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में प्रदेश से राहुल गांधी की न्याय यात्रा भी अगले साल निकलना है। जहां से यात्रा निकलेगी, वहां की सीटों पर वोट बैंक बढ़ाना भी कांग्रेस अध्यक्ष के लिए चुनौती भरा साबित होगा। पटवारी अगर भाजपा से 10 से अधिक सीटें भी छिन लेते हैं तो उनकी सार्थकर्ता सिद्ध हो जाएगी, नहीं तो उन पर भी निष्क्रिय अध्यक्ष का दाग लग सकता है। वैसे पटवारी ने दावा किया है कि वे 51 प्रतिशत वोट बैंक के लक्ष्य को लेकर चल रहे हैं।
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