इन्दौर। पहली बार कांग्रेस में भाजपा की तरह अनुशासन का डंडा चला और साढ़ें पांच घंटे तक कांग्रेस नेताओं की सुनने के बाद प्रदेश में प्रभारी के रूप में पहली बार आए भंवर जितेन्द्रसिंह को प्रदेश कार्यकारिणी भंग करने का निर्णय लेना ही पड़ा। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी अभी पुरानी कार्यकारिणी से ही लोकसभा चुनाव तक काम चलाना चाहते थे, लेकिन जितेर्न्द्रसिंह के आगे वे कुछ नहीं बोल पाए। अब जल्द ही कार्यकारिणी गठित करने की बात की जा रही है और इसमें जिन नेताओं की कांग्रेस के खिलाफ काम करने की शिकायतें आई थीं, उनकी रिपोर्ट बनाकर दिल्ली भेजी जा रही है।
जिस तरह से कांग्रेस प्रदेश में बुरी तरह हारी, उसको लेकर यहां के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला को बदलने में आला कमान ने देर नहीं लगाई और यहां तक कि कमलनाथ को भी हटाकर उनके स्थान पर जीतू पटवारी की नियुक्ति कर दी। पटवारी ने अपनी नियुक्ति के बाद यह कहा था कि लोकसभा चुनाव तक पुरानी कार्यकारिणी ही काम करेगी और वे अभी किसी को भी हटाने के मूड में नहीं है। अगर जल्दबाजी की जाती तो पूरा रायता फैल सकता था जो पटवारी नहीं चाहते थे, लेकिन कल पहली बार बैठक लेने पहुंचे भंवर जितेन्द्रसिंह ने पहली ही बैठक में भांप लिया कि पुरानी कार्यकारिणी से काम नहीं चलेगा और जिस प्रकार की शिकायतें आ रही हैं, उससे कांग्रेस और कमजोर होंगी।
बताया जाता है कि कई नेताओं ने बैठक में जमकर भड़ास निकाली और कहा कि कांग्रेस के हारने के कारण कांग्रेस नेता ही रहे, जिन्होंने पार्टी के खिलाफ जाकर काम किया। प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में सभी जिलों से आए अध्यक्षों और प्रभारियों की भी जितेन्द्रसिंह ने सुनी। करीब साढ़े पांच घंटे तक यह बैठक चलती रही, आखरी में उन्होंने दो लाइन में कह दिया कि प्रदेश कार्यकारिणी भंग की जा रही है। उन्होंने जिला, शहर अध्यक्ष और जिले के प्रभारी तथा सहप्रभारी को यथावत रखा है। उनके परफार्मेंस के आधार पर उनकी नियुक्ति बहाल रखी जाएगी या फिर उन्हें हटाकर नई नियुक्तियां होंगी। कांग्रेस में पहली बार प्रभारी की इतने बड़े स्तर पर चली है और उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष के न चाहते हुए भी यह निर्णय ले डाला। हालांकि पटवारी भी खुश हैं। अगर वे कार्यकारिणी भंग करने की घोषणा करते तो उन पर मनमानी के आरोप लगते। अब जल्द ही नई कार्यकारिणी गठित करने की बात कही जा रही है।
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