नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए INDIA गठबंधन कमर कस रहा है. 28 दलों वाले इस गठबंधन की अब तक 4 बैठकें हो चुकी हैं और अब तक पीएम फेस और सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पाई है. गठबंधन में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियां हैं, ऐसे में किसको कितनी सीटें दी जाएं, ये एक बड़ी चुनौती है.
हालांकि गठबंधन के नेताओं के मूड को देखें तो लगता है कि ये गुत्थी सुलझ रही है. दरअसल, इंडिया ने सीट शेयरिंग की डेडलाइन 31 दिसंबर रखी है. 19 दिसंबर को दिल्ली में इंडिया गठबंधन की हुई चौथी बैठक में तय किया गया था कि 31 दिसंबर तक सीट बंटवारे को लेकर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है.
डेडलाइन जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे-वैसे गठबंधन के नेता अपनी पार्टी का रुख भी साफ कर रहे हैं. कांग्रेस, जेडीयू और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियों ने बता दिया है कि गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर कोई विवाद नहीं है. सभी एक मत हैं. कांग्रेस ने कहा है कि वो सीट शेयरिंग के लिए तैयार है और खुले मन से बातचीत करेगी.
पार्टी के दिग्गज नेता जयराम रमेश ने कहा, हमारे नेता राहुल गांधी ने कहा कि हम सीट शेयरिंग के लिए तैयार हैं. खुले मन और बंद मुंह से ही सीट शेयरिंग की बातचीत होगी. जयराम रमेश का बयान बताता है कि कांग्रेस सीटों को लेकर बहुत ज्यादा मोलभाव नहीं करेगी. मतलब खरगे की पार्टी बार्गेनिंग के मूड में नहीं दिख रही है.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी सीट शेयरिंग पर अपना रुख साफ कर चुके हैं. उन्होंने सीट शेयरिंग पर किसी भी विवाद का सोमवार को खंडन किया था. नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रमुख और जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी पार्टी अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए जम्मू-कश्मीर में सीट बंटवारे पर इंडिया गठबंधन के फैसले का पालन करेगी.
दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है. बीजेपी ने पिछले दो चुनावों में इसे साबित भी किया है. यहां पर लोकसभा की 80 सीटें हैं. ऐसे में यहां पर इंडिया गठबंधन की पार्टियों में किसको कितनी सीटें मिलेंगी, ये देखने वाली बात होगी. गठबंधन में यूपी में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (एसपी) और राष्ट्रीय लोक दल (आरएलडी) शामिल हैं, जिनमें प्रमुख विपक्ष के रूप में एसपी सबसे प्रमुख खिलाड़ी है.
पिछले कई महीनों से राज्य में कांग्रेस, सपा और आरएलडी के रिश्ते अच्छे नहीं हैं. हाल में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में सीटे साझा नहीं करने पर कांग्रेस को सपा की नाराजगी का सामना करना पड़ा था. बाद में उसने चेतावनी दी थी कि सबसे पुरानी पार्टी को यूपी में जैसे को तैसा वाला व्यवहार मिलेगा. आरएलडी तब भी नाखुश थी जब उसे राजस्थान चुनाव में कांग्रेस द्वारा सिर्फ एक सीट दी गई थी. दोनों राज्यों में कांग्रेस को चुनावों में हार का सामना करना पड़ा.
इस साल की शुरुआत में शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में सीट बंटवारे को लेकर सपा और आरएलडी के बीच विवाद भी हुआ था. आरएलडी ने तब एसपी पर पर्याप्त सीटें न देने का आरोप लगाया था. यूपी में इंडिया की किसी भी पार्टी ने अब तक आधिकारिक तौर पर यह टिप्पणी नहीं की है कि कौन कितनी सीटों पर लड़ेगा.
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