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उज्जैन में स्थापित होगी विश्व की पहली वैदिक घड़ी, 24 घंटे में बताएगी 30 मुहूर्त

December 25, 2023

उज्जैन। विश्व की पहली वैदिक घड़ी (World’s first Vedic clock) हिंदू नववर्ष पर वेधशाला परिसर (Observatory Complex on Hindu New Year) में बनाए जा रहे टॉवर पर स्थापित की जाएगी। इसका निर्माण डिजिटल तकनीक से लखनऊ (Lucknow) में संस्था आरोहण कर रही है। जीवाजीराव वेधशाला परिसर (Jiwajirao Observatory Complex) में वैदिक घड़ी की स्थापना के लिए टॉवर तैयार किया जा रहा है। इस घड़ी को सम्राट विक्रमादित्य शोधपीठ लगाएगा। यह घड़ी इंटरनेट और जीपीएस से जुड़ी होगी, जिससे कही भी इसका उपयोग किया जा सकेगा। इस घड़ी को मोबाइल और टीवी पर भी लगाया जा सकेगा। इसके लिए विक्रमादित्य वैदिक घड़ी मोबाइल एप जारी किया जाएगा। इसका लोकार्पण आगामी 2 अप्रैल 2024 को हिंदू नववर्ष चैत्र प्रतिपदा के दिन किया जाएगा।

उज्जैन में स्थापित होने जा रही विश्व की पहली वैदिक घड़ी में ग्रीन विच टाइम जोन के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) में बांटा गया है। इस घड़ी को मोबाइल और टीवी पर भी लगाया जा सकेगा। इसके लिए विक्रमादित्य वैदिक घड़ी मोबाइल एप जारी किया जाएगा। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को भारतीय समय गणना से परिचित कराना है।

सम्राट विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक डॉ. श्रीराम तिवारी के मुताबिक वेधशाला में तैयार हो रहे टॉवर पर वैदिक घड़ी लगाने के साथ इंदौर मार्ग पर स्थित नानाखेड़ा चौराहे पर भी एक समय स्तंभ बनाया जाएगा। साथ ही, विक्रम पंचांग का प्रकाशन भी किया जाएगा। इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री रहते अपनी निधि से धनराशि दी है।


बता दें कि उज्जैन के सम्राट विक्रमादित्य ने विक्रम संवत् की शुरुआत की थी। श्रीराम तिवारी ने विश्वास जताया कि वैदिक घड़ी लगने के बाद उज्जैन का प्राचीन गौरव लौटेगा और दुनिया के इतिहास में फिर से इस नगरी का नाम दर्ज होगा। उज्जैन के बाद देश के दूसरे प्रमुख शहरों में भी वैदिक घड़ी लगाने की योजना बनाई जाएगी।

डॉ. तिवारी के अनुसार, वैदिक घड़ी में मौजूदा ग्रीन विच पद्धति के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) में बांटा गया है। हर घटी के धार्मिक नाम हैं, जिनका खास मतलब है। घड़ी में घंटे, मिनट और सेकंड वाली सुई रहेगी। यह घड़ी सूर्योदय के आधार पर समय की गणना करेगी। इसका उपयोग मुहूर्त (ब्रह्म मुहूर्त, राहु काल आदि) की गणना और समय से संबंधित अन्य कामों में भी किया जा सकेगा। वैदिक घड़ी इंटरनेट और जीपीएस से जुड़ी होगी, जिसके कारण कहीं भी इसका उपयोग किया जा सकेगा। इस घड़ी को लखनऊ की संस्था आरोहण के आरोह श्रीवास्तव द्वारा डिजिटल तकनीक से बनाया जा रहा है। उक्त घड़ी में परंपरागत घड़ियों के जैसे कल पुर्जे नहीं रहेंगे।

प्राचीन काल में उज्जैन काल गणना केंद्र रहा है। इसका कारण यह है कि यह नगरी कर्क रेखा पर स्थित है। इसी वजह से यहां प्राचीन काल में कर्कराज मंदिर का निर्माण किया गया। इसके अलावा, राजा जयसिंह ने देश में चार वेधशालाएं स्थापित की थीं, जिनमें से एक उज्जैन में स्थित है। यही नहीं, सम्राट विक्रमादित्य की राजसभा के नवरत्नों में से एक खगोलविद् वराह मिहिर तथा अन्य विद्वानों द्वारा लिखे गए ग्रंथों में भी उज्जैन में काल गणना का उल्लेख मिलता है।

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